bho-bhtb-test-doc2

Universal Dependencies - Bhojpuri - BHTB

LanguageBhojpuri
ProjectBHTB
Corpus Parttest

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के कहल कि चमक - चमक के , झमक-झमक के , उचकि - उचकि के लपकि - लपकि के , देहि भाँजत गेना नियर उछलत चउए पर चलऽ जा राहे - राहे रासलीला , खेते - खेते वृंदावन …… फागुन के महीना , खेत , खरिहान , कटिया , धूप , बसंती चोली , गुलाबी चुनरी , मस्त चाल …… अजी , धनिया से के कहल कि अब चुनरी रँगा तबे नू एह अइसन कलम के जादूगरी पर चकित होत डॉ. रामप्रवेश शास्त्री के लिखे के पड़ल विवेकी राय जी के चुनरी के रंग , बिनावट , कारीगरी के जवन भी संज्ञा अच्छा लागे , दिहला में कवनो हरज ना बा , लेकिन अइसन कला के पटतर दिहल कठिन होला जवन नित नया बा , ओके पुरान बटखरा से वजन कइले अतने लाभ हो सकेला कि पता चलि जाई कि हमरा जानकारी के कसौटी में कतना पर अधिका उतरल बा अनिल कुमार आंजनेय एह कृति के भोजपुरी अंचल के दरपन बतावत कहले रहलीं - के कहल चुनरी रँगा भोजपुरी अंचल के दर्पण

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