bho-bhtb-test-doc2

Universal Dependencies - Bhojpuri - BHTB

LanguageBhojpuri
ProjectBHTB
Corpus Parttest

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indexsentence 1 - 6 < sentence 7 - 17 > sentence 18 - 28

जेके भोजपुरी जिनिगी में , अंचल में गहराई तक पइठे के बा , ओके समीक्ष्य पुस्तक पढ़ल बहुते आवश्यक बा पुस्तक के गहरे पैठ अंतर्दृष्टि के साक्षी आंजनेय जी के एह कहनाम से सहमति जतावत चंद्रशेखर तिवारी लिखले बाड़न - एह संग्रह के पढ़िके कहल जा सकेला कि डॉ. विवेकी राय जी अउरी साहित्यकारन खानी कागद की लेखी ना कहिके महात्मा कबीर का तरह आँखिन के देखी कहले बाड़न , जवना से उनकर निबंध पाठक पर आपन एगो विशिष्ट छाप छोड़े में सफल भइल बाड़न एह पुस्तक के प्रकाशन निश्चित रूप से भोजपुरी साहित्य के ललित निबंधन का इतिहास में एगो महत्वपूर्ण घटना अपना भाषाई कौशल , व्यंगात्मकता रचनात्मक दक्षता के बदउलत राय साहब के निबंध एह विधा के विकास - समृद्धि के दिसाईं मील के पाथर साबित भइलन एह संबंध में डॉ. जया पाण्डेय के साफ - साफ विचार बा - विवेकी राय जी के कुल्हि निबंध शुरू से आखिर ले व्यक्ति - व्यंजकता का रंग में रँगाइल बाड़े सन कतहीं - कतहीं प्रगीतात्मक काव्य के आनंद आवता दोसर विशेषता बा लेखक के व्यंग्य - विनोद के प्रवृत्ति कवनो भाषा के गद्य साहित्य जतने समृद्ध होई , भाषा ओतने विकसित मान जाले विवेकी राय के तमाम निबंध विकासमान बोली के भाषा के प्रौढ़ता प्रदान कइलन

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