Sentence view
Universal Dependencies - Bhojpuri - BHTB
Language | Bhojpuri |
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Project | BHTB |
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Corpus Part | test |
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हमरा बुझाता कि जिम्मेदार पत्र - पत्रिकन के एकरा पर अभी दू - चार बेरि अउर जमिके काम करेके चाहीं ।
s-101
f2-101
हमरा बुझाता कि जिम्मेदार पत्र - पत्रिकन के एकरा पर अभी दू - चार बेरि अउर जमिके काम करेके चाहीं ।
जरूरी ईहो बा कि जवन काम हो रहल बा ओकरा के कम से कम झंडावाला लोग जरूर पढ़सु ।
s-102
f2-102
जरूरी ईहो बा कि जवन काम हो रहल बा ओकरा के कम से कम झंडावाला लोग जरूर पढ़सु ।
आम नागरिक के भी चाहीं कि उनुका आस - पास शृंगार रस का नाम पर केहूँ ऑडियो - वीडियो के ब्लू फिलिम चलावत होखे , भा ठेंठ भोजपुरी का नाँव पर गारी - गलौज के यथार्थ परोसत होखे , त ओकरा पर सभका सङे मिलिके लगाम लगावेके चाहीं ।
s-103
f2-103
आम नागरिक के भी चाहीं कि उनुका आस - पास शृंगार रस का नाम पर केहूँ ऑडियो - वीडियो के ब्लू फिलिम चलावत होखे , भा ठेंठ भोजपुरी का नाँव पर गारी - गलौज के यथार्थ परोसत होखे , त ओकरा पर सभका सङे मिलिके लगाम लगावेके चाहीं ।
एह तरह के आचरण संस्कृति के विषय होला आ नैतिकता के परिसीमन आ नियंत्रण परिवारे आ समाज से शुरू होला ।
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f2-104
एह तरह के आचरण संस्कृति के विषय होला आ नैतिकता के परिसीमन आ नियंत्रण परिवारे आ समाज से शुरू होला ।
अगर कवनो समाज के खतम करे के होखे त ओकरा नाभि प चोट करे के चाहीं ।
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f2-105
अगर कवनो समाज के खतम करे के होखे त ओकरा नाभि प चोट करे के चाहीं ।
आ समाज के नाभि ओकरा भासा , ओकरा परम्परा , ओकरा संस्कार , ओकरा उत्सवन में होला ।
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f2-106
आ समाज के नाभि ओकरा भासा , ओकरा परम्परा , ओकरा संस्कार , ओकरा उत्सवन में होला ।
कई बेर ई चोट ओह समाज के भलाई का नाम प लगावल जाला , ओकरा के सुधारे सभ्य बनावे खाति कइल जाला ।
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कई बेर ई चोट ओह समाज के भलाई का नाम प लगावल जाला , ओकरा के सुधारे सभ्य बनावे खाति कइल जाला ।
भोजपुरियो का साथे अरसा से अइसने खुरचाली हो रहल बा ।
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f2-108
भोजपुरियो का साथे अरसा से अइसने खुरचाली हो रहल बा ।
आम आदमी के भासा भोजपुरी के अपना के पढ़ल - लिखल - सभ्य माने वाला कुछ लोग अपना खुरचाली में श्लील बनावे प लागल बा ।
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आम आदमी के भासा भोजपुरी के अपना के पढ़ल - लिखल - सभ्य माने वाला कुछ लोग अपना खुरचाली में श्लील बनावे प लागल बा ।
ओहु लोग के मालूम बा कि श्लील होखते भोजपुरी के नींव हिल जाई ।
s-110
f2-110
ओहु लोग के मालूम बा कि श्लील होखते भोजपुरी के नींव हिल जाई ।
आम आदमी एकरा से दूर जाए लगीहें आ अपना के सभ्य - श्लील बतावे वाला लोग के तब मनसा पूरन हो जाई ।
s-111
f2-111
आम आदमी एकरा से दूर जाए लगीहें आ अपना के सभ्य - श्लील बतावे वाला लोग के तब मनसा पूरन हो जाई ।
ई लोग त भोजपुरी का नाम प कई गो संस्थो चलावेला जवना के हर काम हिन्दी में होखेला ।
s-112
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ई लोग त भोजपुरी का नाम प कई गो संस्थो चलावेला जवना के हर काम हिन्दी में होखेला ।
आ जवन भासा आपन सवालो दोसरा भासा में उठावल करी ओकर आवाज केहु काहे आ कइसे सुनी ।
s-113
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आ जवन भासा आपन सवालो दोसरा भासा में उठावल करी ओकर आवाज केहु काहे आ कइसे सुनी ।
भोजपुरी अगर आजु जिन्दा बिया त आम आदमी का चलते ।
s-114
f2-114
भोजपुरी अगर आजु जिन्दा बिया त आम आदमी का चलते ।
बाकि बकरी के माई कहिया ले खरजिउतिया मनाई ।
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बाकि बकरी के माई कहिया ले खरजिउतिया मनाई ।
आजु ना त काल्हु ओकरा कटाहीं के बा ।
s-116
f2-116
आजु ना त काल्हु ओकरा कटाहीं के बा ।
रउरो सभे सोचत होखब कि काल्हु फगुआ बा आ ई बतंगड़ा कवन राग उठा लिहलसि ।
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f2-117
रउरो सभे सोचत होखब कि काल्हु फगुआ बा आ ई बतंगड़ा कवन राग उठा लिहलसि ।
हर हप्ता एगो खम्भा खड़ा कइल आसान ना होखे ।
s-118
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हर हप्ता एगो खम्भा खड़ा कइल आसान ना होखे ।
कई बेर ओकरा मजबूरन खुरपी का बिआह में हँसुआ के गीत उठावे पड़ जाला ।
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कई बेर ओकरा मजबूरन खुरपी का बिआह में हँसुआ के गीत उठावे पड़ जाला ।
चारो तरफ आजु चुनाव परिणाम के चरचा चलत बा ।
s-120
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चारो तरफ आजु चुनाव परिणाम के चरचा चलत बा ।
एह प अगर कवनो अटकर पचीसा लगाईं त ओकरा गलत होखे के पूरा अनेसा रही ।
s-121
f2-121
एह प अगर कवनो अटकर पचीसा लगाईं त ओकरा गलत होखे के पूरा अनेसा रही ।
कहले बा बड़ बड़ जने दहाइल जासु , गदहा थाहे कतना पानी ।
s-122
f2-122
कहले बा बड़ बड़ जने दहाइल जासु , गदहा थाहे कतना पानी ।
अब जवन होखे के बा तवन काल्हु सामने आइए जाई ।
s-123
f2-123
अब जवन होखे के बा तवन काल्हु सामने आइए जाई ।
बाकि हमरा हर हाल में एह लेख के आजु पठा देबे के बा ना त सम्पादक जी लुकारी भाँजे लगीहें ।
s-124
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बाकि हमरा हर हाल में एह लेख के आजु पठा देबे के बा ना त सम्पादक जी लुकारी भाँजे लगीहें ।
समहुत जहिया जरी तहिया जरी , बाकि हम त आजुए झँउसि जाइब ।
s-125
f2-125
समहुत जहिया जरी तहिया जरी , बाकि हम त आजुए झँउसि जाइब ।
एक बेर मन भइल कि फगुए प लिख मारीं ।
s-126
f2-126
एक बेर मन भइल कि फगुए प लिख मारीं ।
बाकि फगुआ लउके त पहिले ।
s-127
f2-127
बाकि फगुआ लउके त पहिले ।
तीन दिन बादे फगुआ बा आ कतहीं ना त फगुआ के गाजन बाजन सुनाता ना केहु का देह प रंग अबीर लउकत बा ।
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तीन दिन बादे फगुआ बा आ कतहीं ना त फगुआ के गाजन बाजन सुनाता ना केहु का देह प रंग अबीर लउकत बा ।
पिया परदेस , देवर घरे लईका , सूतल भसुर के जगाईं कइसे का उहा पोह में पड़ल बिरहिनी परेशान बिया कि पिया नाहीं अइले अबकी फगुनवो में ।
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पिया परदेस , देवर घरे लईका , सूतल भसुर के जगाईं कइसे का उहा पोह में पड़ल बिरहिनी परेशान बिया कि पिया नाहीं अइले अबकी फगुनवो में ।
भाग दौड़ भरल जिनिगी में रोजी रोटी कमाए परदेसे गइल पिया बलमा के तिकवते ओकर फगुआ बीते जात बा ।
s-130
f2-130
भाग दौड़ भरल जिनिगी में रोजी रोटी कमाए परदेसे गइल पिया बलमा के तिकवते ओकर फगुआ बीते जात बा ।
आ हम खोजत बानी अपना लइकाईं का दिन के उमंग उल्लास से भरल फगुआ ।
s-131
f2-131
आ हम खोजत बानी अपना लइकाईं का दिन के उमंग उल्लास से भरल फगुआ ।
जब राहे पेड़ा निकलत हमेशा चौकन्ना रहे के पड़त रहुवे कि केनियो से रंग पानी भेंटा मत जाए ।
s-132
f2-132
जब राहे पेड़ा निकलत हमेशा चौकन्ना रहे के पड़त रहुवे कि केनियो से रंग पानी भेंटा मत जाए ।
बाकि हिन्दू परब तेवहारन प सेकूलर हमला ई हाल क दिहले बा कि रंग - अबीर , कादो - पानी वाला फगुआ से साम्प्रदायिक बवाल मत हो जाए एह डरे रंग डाले के परम्परे भुलाइल जात बा ।
s-133
f2-133
बाकि हिन्दू परब तेवहारन प सेकूलर हमला ई हाल क दिहले बा कि रंग - अबीर , कादो - पानी वाला फगुआ से साम्प्रदायिक बवाल मत हो जाए एह डरे रंग डाले के परम्परे भुलाइल जात बा ।
गवनई , फगुआ - चइतो बिसरल जात बा काहे कि कुछ लोग भोजपुरी के अश्लीलता खतम कइल चाहत बा ।
s-135
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गवनई , फगुआ - चइतो बिसरल जात बा काहे कि कुछ लोग भोजपुरी के अश्लीलता खतम कइल चाहत बा ।
संवैधानिक मान्यता ला परेशान लोग ई नइखे सोचत कि भासा बचल रही तबे मान्यता के फायदा बा ।
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संवैधानिक मान्यता ला परेशान लोग ई नइखे सोचत कि भासा बचल रही तबे मान्यता के फायदा बा ।
ना त अकादमीओ के काम दोसरे भासा में करे के पड़ी ।
s-137
f2-137
ना त अकादमीओ के काम दोसरे भासा में करे के पड़ी ।
हम त हिन्दी से लाख नाराजगी का बादो कुछ हिन्दी वालन के आभारी बानी जे हिन्दी का अखबार में भोजपुरी के खम्भा उठावे के जगहा दे देत बा ।
s-138
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हम त हिन्दी से लाख नाराजगी का बादो कुछ हिन्दी वालन के आभारी बानी जे हिन्दी का अखबार में भोजपुरी के खम्भा उठावे के जगहा दे देत बा ।
ना त भोजपुरिया इलाका के हिन्दी साहित्यकार तनिको ना चाहसु कि भोजपुरी के ओकर हक मिल जाव ।
s-139
f2-139
ना त भोजपुरिया इलाका के हिन्दी साहित्यकार तनिको ना चाहसु कि भोजपुरी के ओकर हक मिल जाव ।
महामहिम राष्ट्रपति जी , राउर बतिया हमरा से बरदाश्त नइखे होखत ।
s-140
f2-140
महामहिम राष्ट्रपति जी , राउर बतिया हमरा से बरदाश्त नइखे होखत ।
अब रउए बता दीं कि हम कहाँ जाईं ।
s-141
f2-141
अब रउए बता दीं कि हम कहाँ जाईं ।
कोच्चि मे 2 मार्च के दीहल राउर उद्बोधन हमरा सोझा बा ।
s-142
f2-142
कोच्चि मे 2 मार्च के दीहल राउर उद्बोधन हमरा सोझा बा ।
एहमें राउर कहना बा कि अपना देश में असहिष्णु लोग ला कवनो जगहा ना होखे के चाहीं ।
s-143
f2-143
एहमें राउर कहना बा कि अपना देश में असहिष्णु लोग ला कवनो जगहा ना होखे के चाहीं ।
मीडिया में राउर भाषण जवना तरह से पेश कइल गइल ओहसे हमरा पहिले लागल कि मीडिया ओकरा के अपना हिसाब से पेश कइले बा ।
s-144
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मीडिया में राउर भाषण जवना तरह से पेश कइल गइल ओहसे हमरा पहिले लागल कि मीडिया ओकरा के अपना हिसाब से पेश कइले बा ।
त हम राउर आधिकारिक भाषण पढ़नी आ साँच कहीं त राउर भाषणो हमरा पचल ना ।
s-145
f2-145
त हम राउर आधिकारिक भाषण पढ़नी आ साँच कहीं त राउर भाषणो हमरा पचल ना ।
एह हालत में रउरे बताईं कि हम कहाँ जाईं ।
s-146
f2-146
एह हालत में रउरे बताईं कि हम कहाँ जाईं ।
रउरा कहले बानी कि हिन्दुस्तान पुरातन काल से बरदाश्ती रहल बा आ हर तरह के बाति , विचार , संस्कारन के जगहा देत आइल बा ।
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f2-147
रउरा कहले बानी कि हिन्दुस्तान पुरातन काल से बरदाश्ती रहल बा आ हर तरह के बाति , विचार , संस्कारन के जगहा देत आइल बा ।
आ ई परम्परा बरकरार रहे के चाहीं ।
s-148
f2-148
आ ई परम्परा बरकरार रहे के चाहीं ।
बोले भा अभिव्यक्ति के आजादी सबले खास मौलिक अधिकार हवे हमहन के संविधान के ।
s-149
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बोले भा अभिव्यक्ति के आजादी सबले खास मौलिक अधिकार हवे हमहन के संविधान के ।
आगे कहले बानी कि भारत हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में विश्व नेता रहल बा ।
s-150
f2-150
आगे कहले बानी कि भारत हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में विश्व नेता रहल बा ।
नालन्दा आ तक्षशिला विश्व विद्यालयन के नामो लिहले बानी रउआ ।
s-151
f2-151
नालन्दा आ तक्षशिला विश्व विद्यालयन के नामो लिहले बानी रउआ ।
रउरा संबोधन के एक हिस्सा से हमहु सहमत बानी काहे कि ई ऐतिहासिक सच्चाई ह ।
s-152
f2-152
रउरा संबोधन के एक हिस्सा से हमहु सहमत बानी काहे कि ई ऐतिहासिक सच्चाई ह ।
“ तबे नू एह आ अइसन कलम के जादूगरी पर चकित होत डॉ. रामप्रवेश शास्त्री के लिखे के पड़ल ” ।
s-153
f3-1
“ तबे नू एह आ अइसन कलम के जादूगरी पर चकित होत डॉ. रामप्रवेश शास्त्री के लिखे के पड़ल ” ।
विवेकी राय जी के चुनरी के रंग , बिनावट , कारीगरी के जवन भी संज्ञा अच्छा लागे , दिहला में कवनो हरज ना बा , लेकिन अइसन कला के पटतर दिहल कठिन होला ।
s-154
f3-2
विवेकी राय जी के चुनरी के रंग , बिनावट , कारीगरी के जवन भी संज्ञा अच्छा लागे , दिहला में कवनो हरज ना बा , लेकिन अइसन कला के पटतर दिहल कठिन होला ।
जवन नित नया बा , ओके पुरान बटखरा से वजन कइले अतने लाभ हो सकेला कि पता चलि जाई कि हमरा जानकारी के कसौटी में कतना पर ई अधिका उतरल बा ।
s-155
f3-3
जवन नित नया बा , ओके पुरान बटखरा से वजन कइले अतने लाभ हो सकेला कि पता चलि जाई कि हमरा जानकारी के कसौटी में कतना पर ई अधिका उतरल बा ।
“ अनिल कुमार आंजनेय एह कृति के भोजपुरी अंचल के दरपन बतावत कहले रहलीं - ” के कहल चुनरी रँगा ल ’ भोजपुरी अंचल के दर्पण ह ।
s-156
f3-4
“ अनिल कुमार आंजनेय एह कृति के भोजपुरी अंचल के दरपन बतावत कहले रहलीं - ” के कहल चुनरी रँगा ल ’ भोजपुरी अंचल के दर्पण ह ।
जेके भोजपुरी जिनिगी में , अंचल में गहराई तक पइठे के बा , ओके ई समीक्ष्य पुस्तक पढ़ल बहुते आवश्यक बा ।
s-157
f3-5
जेके भोजपुरी जिनिगी में , अंचल में गहराई तक पइठे के बा , ओके ई समीक्ष्य पुस्तक पढ़ल बहुते आवश्यक बा ।
ई पुस्तक के गहरे पैठ अंतर्दृष्टि के साक्षी ह ।
s-158
f3-6
ई पुस्तक के गहरे पैठ अंतर्दृष्टि के साक्षी ह ।
“ आंजनेय जी के एह कहनाम से सहमति जतावत चंद्रशेखर तिवारी लिखले बाड़न - ” एह संग्रह के पढ़िके ई कहल जा सकेला कि डॉ. विवेकी राय जी अउरी साहित्यकारन खानी कागद की लेखी ना कहिके महात्मा कबीर का तरह ‘ आँखिन के देखी ’ कहले बाड़न , जवना से उनकर निबंध पाठक पर आपन एगो विशिष्ट छाप छोड़े में सफल भइल बाड़न स ।
s-159
f3-7
“ आंजनेय जी के एह कहनाम से सहमति जतावत चंद्रशेखर तिवारी लिखले बाड़न - ” एह संग्रह के पढ़िके ई कहल जा सकेला कि डॉ. विवेकी राय जी अउरी साहित्यकारन खानी कागद की लेखी ना कहिके महात्मा कबीर का तरह ‘ आँखिन के देखी ’ कहले बाड़न , जवना से उनकर निबंध पाठक पर आपन एगो विशिष्ट छाप छोड़े में सफल भइल बाड़न स ।
एह पुस्तक के प्रकाशन निश्चित रूप से भोजपुरी साहित्य के ललित निबंधन का इतिहास में एगो महत्वपूर्ण घटना ह ।
s-160
f3-8
एह पुस्तक के प्रकाशन निश्चित रूप से भोजपुरी साहित्य के ललित निबंधन का इतिहास में एगो महत्वपूर्ण घटना ह ।
“ अपना भाषाई कौशल , व्यंगात्मकता आ रचनात्मक दक्षता के बदउलत राय साहब के निबंध एह विधा के विकास - समृद्धि के दिसाईं मील के पाथर साबित भइलन स ।
s-161
f3-9
“ अपना भाषाई कौशल , व्यंगात्मकता आ रचनात्मक दक्षता के बदउलत राय साहब के निबंध एह विधा के विकास - समृद्धि के दिसाईं मील के पाथर साबित भइलन स ।
एह संबंध में डॉ. जया पाण्डेय के साफ - साफ विचार बा - ” विवेकी राय जी के कुल्हि निबंध शुरू से आखिर ले व्यक्ति - व्यंजकता का रंग में रँगाइल बाड़े सन ।
s-162
f3-10
एह संबंध में डॉ. जया पाण्डेय के साफ - साफ विचार बा - ” विवेकी राय जी के कुल्हि निबंध शुरू से आखिर ले व्यक्ति - व्यंजकता का रंग में रँगाइल बाड़े सन ।
कतहीं प्रगीतात्मक काव्य के आनंद आवता ।
s-164
f3-12
कतहीं प्रगीतात्मक काव्य के आनंद आवता ।
दोसर विशेषता बा लेखक के व्यंग्य - विनोद के प्रवृत्ति ।
s-165
f3-13
दोसर विशेषता बा लेखक के व्यंग्य - विनोद के प्रवृत्ति ।
कवनो भाषा के गद्य साहित्य जतने समृद्ध होई , ऊ भाषा ओतने विकसित मान जाले ।
s-166
f3-14
कवनो भाषा के गद्य साहित्य जतने समृद्ध होई , ऊ भाषा ओतने विकसित मान जाले ।
विवेकी राय के तमाम निबंध विकासमान बोली के भाषा के प्रौढ़ता प्रदान कइलन स ।
s-167
f3-15
विवेकी राय के तमाम निबंध विकासमान बोली के भाषा के प्रौढ़ता प्रदान कइलन स ।
“ विवेकी राय के हिन्दी - भोजपुरी के कृतित्वे - भर आंचलिक ना रहे , उहाँ के शख्सियतो एड़ी से चोटी ले आंचलिकता से लैस रहे - सहनशीलता आ जीवट से लबालब भइल ।
s-168
f3-16
“ विवेकी राय के हिन्दी - भोजपुरी के कृतित्वे - भर आंचलिक ना रहे , उहाँ के शख्सियतो एड़ी से चोटी ले आंचलिकता से लैस रहे - सहनशीलता आ जीवट से लबालब भइल ।
तबे नू , अढ़ाई दशक पहिले हृदयाघात के हरु पटे त विजयी भइलीं ।
s-169
f3-17
तबे नू , अढ़ाई दशक पहिले हृदयाघात के हरु पटे त विजयी भइलीं ।
सतरह साल पहिले जब पक्षाघात के शिकार दहिना अलँग कहला में ना रहल , त बायाँ हाथ से लिखे के सिलसिला शुरू कऽ दिहलीं ।
s-170
f3-18
सतरह साल पहिले जब पक्षाघात के शिकार दहिना अलँग कहला में ना रहल , त बायाँ हाथ से लिखे के सिलसिला शुरू कऽ दिहलीं ।
बाकिर एह बेर उहाँ के मउवत के चुनौती कबूल ना कऽ पवलीं आ बाबा विश्वनाथ के नगरी काशी के अस्पताल में गंगा मइया के गोदी में आखिरी साँस लिहलीं ।
s-171
f3-19
बाकिर एह बेर उहाँ के मउवत के चुनौती कबूल ना कऽ पवलीं आ बाबा विश्वनाथ के नगरी काशी के अस्पताल में गंगा मइया के गोदी में आखिरी साँस लिहलीं ।
अतिशय सज्जनता आ साधुता के प्रतिमूर्ति , गँवई जिनिगी के अद्भुत चितेरा , गँवई गंध गुलाब ’ से साहित्य - वाटिका के गमगमावे वाला ‘ मनबोध मास्टर ’ के हमार अशेष प्रणामांजलि !
s-172
f3-20
अतिशय सज्जनता आ साधुता के प्रतिमूर्ति , गँवई जिनिगी के अद्भुत चितेरा , गँवई गंध गुलाब ’ से साहित्य - वाटिका के गमगमावे वाला ‘ मनबोध मास्टर ’ के हमार अशेष प्रणामांजलि !
आजु स्टाफ रूम में इंस्पेक्शन के बात एक - एक क के उघरत रहे ।
s-173
f3-21
आजु स्टाफ रूम में इंस्पेक्शन के बात एक - एक क के उघरत रहे ।
हमरा प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ‘ सेंगर ’ जी याद आ गइल रहीं आ हम भावुक हो गइल रहीं ।
s-174
f3-22
हमरा प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ‘ सेंगर ’ जी याद आ गइल रहीं आ हम भावुक हो गइल रहीं ।
5 जनवरी के उहाँ से खड़े - खड़े भइल आधा घंटा के बतकही के एक - एक शब्द हमरा याद रहे ।
s-175
f3-23
5 जनवरी के उहाँ से खड़े - खड़े भइल आधा घंटा के बतकही के एक - एक शब्द हमरा याद रहे ।
हमार कलिग लोग के भी आँखि भरि आइल ।
s-176
f3-24
हमार कलिग लोग के भी आँखि भरि आइल ।
भइल ई रहे कि सेंगर जी का विद्यालय के एगो सब - स्टाफ के दूनो किडनी फेल हो गइल ।
s-177
f3-25
भइल ई रहे कि सेंगर जी का विद्यालय के एगो सब - स्टाफ के दूनो किडनी फेल हो गइल ।
ओकरा तीन गो लइकी रही सन आ एकहूँ के अभी बियाह ना भइल रहे ।
s-178
f3-26
ओकरा तीन गो लइकी रही सन आ एकहूँ के अभी बियाह ना भइल रहे ।
ओह गरीब परिवार के कमाई के साधन बस ईहे नोकरी रहे ।
s-179
f3-27
ओह गरीब परिवार के कमाई के साधन बस ईहे नोकरी रहे ।
घर - परिवार आ नाता - रिश्ता में केहूँ अइसन ना मिलल जेकर किडनी मैच करो ।
s-180
f3-28
घर - परिवार आ नाता - रिश्ता में केहूँ अइसन ना मिलल जेकर किडनी मैच करो ।
धीरे - धीरे एह परिवार के आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गइल ।
s-181
f3-29
धीरे - धीरे एह परिवार के आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गइल ।
सेंगर जी के ब्लड ग्रुप मैच करत रहे ।
s-182
f3-30
सेंगर जी के ब्लड ग्रुप मैच करत रहे ।
ऊ बिना घरे केहू के बतवले चुपचाप आपन किडनी ओह आदमी के दान क दिहले ।
s-183
f3-31
ऊ बिना घरे केहू के बतवले चुपचाप आपन किडनी ओह आदमी के दान क दिहले ।
अतने ना ओकराके तीन बोतल खूनो दिहले ।
s-184
f3-32
अतने ना ओकराके तीन बोतल खूनो दिहले ।
ई राज घरे तब खुलल जब उनुका सङ के पढ़ल एगो डॉक्टर घरे आइल आ बचपनवाला स्टाइल में मुक्का - मुक्की शुरू कइलस ।
s-185
f3-33
ई राज घरे तब खुलल जब उनुका सङ के पढ़ल एगो डॉक्टर घरे आइल आ बचपनवाला स्टाइल में मुक्का - मुक्की शुरू कइलस ।
जसहीं जगह पर छुआइल कि ओकरा मुँह से निकलल - आरे तोर किडनी ?
s-186
f3-34
जसहीं जगह पर छुआइल कि ओकरा मुँह से निकलल - आरे तोर किडनी ?
आ फेरु त हंगामा शुरू ।
s-187
f3-35
आ फेरु त हंगामा शुरू ।
पत्नी के मनावे में तीन दिन लागल ।
s-188
f3-36
पत्नी के मनावे में तीन दिन लागल ।
आजु ओह आदमी के मए लइकी बियहा के ससुरा चलि गइली सन आ ऊहो सामान्य जीवन जी रहल बा ।
s-189
f3-37
आजु ओह आदमी के मए लइकी बियहा के ससुरा चलि गइली सन आ ऊहो सामान्य जीवन जी रहल बा ।
सेंगर जी त एकदम फिटफाट रहीं ।
s-190
f3-38
सेंगर जी त एकदम फिटफाट रहीं ।
बिना कवनो लोभ के केहूँ चुपचाप अइसे मदद करे त ओकरा के का कहल जाउ ?
s-191
f3-39
बिना कवनो लोभ के केहूँ चुपचाप अइसे मदद करे त ओकरा के का कहल जाउ ?
साधारन आदमी त नाहिंए कहाई ऊ ।
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साधारन आदमी त नाहिंए कहाई ऊ ।
ओह स्टाफ के एगो दमाद जवन बेंगलुरु में इंजीनियर बाटे , फ्लाइट से कोलकाता खाली उहाँसे मिले खाती आइल रहे ।
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ओह स्टाफ के एगो दमाद जवन बेंगलुरु में इंजीनियर बाटे , फ्लाइट से कोलकाता खाली उहाँसे मिले खाती आइल रहे ।
कालिदास सर अपना एगो मित्र के अनुभव शेयर कइलीं ।
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कालिदास सर अपना एगो मित्र के अनुभव शेयर कइलीं ।
ऊ जापान गइल रहन ।
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ऊ जापान गइल रहन ।
एक दिन ट्रेन में जवन बैग लेके बइठल रहन ओकर एक ओर के थोरे सिलाई टूटल रहे ।
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एक दिन ट्रेन में जवन बैग लेके बइठल रहन ओकर एक ओर के थोरे सिलाई टूटल रहे ।
एगो जापानी नागरिक के ओ पर नजर चलि गइल रहे ।
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एगो जापानी नागरिक के ओ पर नजर चलि गइल रहे ।
ऊ जब देखलसि कि ई ओने नइखन देखत त अपना बैग में से निडिलवाला मशीन निकललसि आ उनुकर आँखि बचावत बेगवा सी दिहलसि ।
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ऊ जब देखलसि कि ई ओने नइखन देखत त अपना बैग में से निडिलवाला मशीन निकललसि आ उनुकर आँखि बचावत बेगवा सी दिहलसि ।
अभी इनकर ध्यान ओह पर जाइत कि ओकरा पहिलहीं ओकर स्टेशन आ गइल आ बिना कुछ बतवले चुपचाप उतरि गइल ।
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अभी इनकर ध्यान ओह पर जाइत कि ओकरा पहिलहीं ओकर स्टेशन आ गइल आ बिना कुछ बतवले चुपचाप उतरि गइल ।
जहाँ का बच्चा - बच्चा में एह तरह के नैतिक मूल्य भरल गइल बा ओह देश के तरक्की भला कइसे रुकी ?
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जहाँ का बच्चा - बच्चा में एह तरह के नैतिक मूल्य भरल गइल बा ओह देश के तरक्की भला कइसे रुकी ?
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