Sentence view
Universal Dependencies - Bhojpuri - BHTB
Language | Bhojpuri |
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Project | BHTB |
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Corpus Part | test |
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showing 1 - 100 of 255 • next
के कहल कि चमक - चमक के , झमक-झमक के , उचकि - उचकि के लपकि - लपकि के , देहि भाँजत गेना नियर उछलत चउए पर चलऽ जा ।
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के कहल कि चमक - चमक के , झमक-झमक के , उचकि - उचकि के लपकि - लपकि के , देहि भाँजत गेना नियर उछलत चउए पर चलऽ जा ।
राहे - राहे रासलीला , खेते - खेते वृंदावन …… ई फागुन के महीना , ई खेत , ई खरिहान , ई कटिया , ई धूप , ई बसंती चोली , ई गुलाबी चुनरी , मस्त चाल …… अजी , धनिया से के कहल कि अब चुनरी रँगा ल ।
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f2-2
राहे - राहे रासलीला , खेते - खेते वृंदावन …… ई फागुन के महीना , ई खेत , ई खरिहान , ई कटिया , ई धूप , ई बसंती चोली , ई गुलाबी चुनरी , मस्त चाल …… अजी , धनिया से के कहल कि अब चुनरी रँगा ल ।
“ तबे नू एह आ अइसन कलम के जादूगरी पर चकित होत डॉ. रामप्रवेश शास्त्री के लिखे के पड़ल – ” ।
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“ तबे नू एह आ अइसन कलम के जादूगरी पर चकित होत डॉ. रामप्रवेश शास्त्री के लिखे के पड़ल – ” ।
विवेकी राय जी के चुनरी के रंग , बिनावट , कारीगरी के जवन भी संज्ञा अच्छा लागे , दिहला में कवनो हरज ना बा , लेकिन अइसन कला के पटतर दिहल कठिन होला ।
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विवेकी राय जी के चुनरी के रंग , बिनावट , कारीगरी के जवन भी संज्ञा अच्छा लागे , दिहला में कवनो हरज ना बा , लेकिन अइसन कला के पटतर दिहल कठिन होला ।
जवन नित नया बा , ओके पुरान बटखरा से वजन कइले अतने लाभ हो सकेला कि पता चलि जाई कि हमरा जानकारी के कसौटी में कतना पर ई अधिका उतरल बा ।
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जवन नित नया बा , ओके पुरान बटखरा से वजन कइले अतने लाभ हो सकेला कि पता चलि जाई कि हमरा जानकारी के कसौटी में कतना पर ई अधिका उतरल बा ।
“ अनिल कुमार आंजनेय एह कृति के भोजपुरी अंचल के दरपन बतावत कहले रहलीं - ” के कहल चुनरी रँगा ल ’ भोजपुरी अंचल के दर्पण ह ।
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“ अनिल कुमार आंजनेय एह कृति के भोजपुरी अंचल के दरपन बतावत कहले रहलीं - ” के कहल चुनरी रँगा ल ’ भोजपुरी अंचल के दर्पण ह ।
जेके भोजपुरी जिनिगी में , अंचल में गहराई तक पइठे के बा , ओके ई समीक्ष्य पुस्तक पढ़ल बहुते आवश्यक बा ।
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जेके भोजपुरी जिनिगी में , अंचल में गहराई तक पइठे के बा , ओके ई समीक्ष्य पुस्तक पढ़ल बहुते आवश्यक बा ।
ई पुस्तक के गहरे पैठ अंतर्दृष्टि के साक्षी ह ।
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ई पुस्तक के गहरे पैठ अंतर्दृष्टि के साक्षी ह ।
“ आंजनेय जी के एह कहनाम से सहमति जतावत चंद्रशेखर तिवारी लिखले बाड़न - ” एह संग्रह के पढ़िके ई कहल जा सकेला कि डॉ. विवेकी राय जी अउरी साहित्यकारन खानी कागद की लेखी ना कहिके महात्मा कबीर का तरह ‘ आँखिन के देखी ’ कहले बाड़न , जवना से उनकर निबंध पाठक पर आपन एगो विशिष्ट छाप छोड़े में सफल भइल बाड़न स ।
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“ आंजनेय जी के एह कहनाम से सहमति जतावत चंद्रशेखर तिवारी लिखले बाड़न - ” एह संग्रह के पढ़िके ई कहल जा सकेला कि डॉ. विवेकी राय जी अउरी साहित्यकारन खानी कागद की लेखी ना कहिके महात्मा कबीर का तरह ‘ आँखिन के देखी ’ कहले बाड़न , जवना से उनकर निबंध पाठक पर आपन एगो विशिष्ट छाप छोड़े में सफल भइल बाड़न स ।
एह पुस्तक के प्रकाशन निश्चित रूप से भोजपुरी साहित्य के ललित निबंधन का इतिहास में एगो महत्वपूर्ण घटना ह ।
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एह पुस्तक के प्रकाशन निश्चित रूप से भोजपुरी साहित्य के ललित निबंधन का इतिहास में एगो महत्वपूर्ण घटना ह ।
“ अपना भाषाई कौशल , व्यंगात्मकता आ रचनात्मक दक्षता के बदउलत राय साहब के निबंध एह विधा के विकास - समृद्धि के दिसाईं मील के पाथर साबित भइलन स ।
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“ अपना भाषाई कौशल , व्यंगात्मकता आ रचनात्मक दक्षता के बदउलत राय साहब के निबंध एह विधा के विकास - समृद्धि के दिसाईं मील के पाथर साबित भइलन स ।
एह संबंध में डॉ. जया पाण्डेय के साफ - साफ विचार बा - ” विवेकी राय जी के कुल्हि निबंध शुरू से आखिर ले व्यक्ति - व्यंजकता का रंग में रँगाइल बाड़े सन ।
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एह संबंध में डॉ. जया पाण्डेय के साफ - साफ विचार बा - ” विवेकी राय जी के कुल्हि निबंध शुरू से आखिर ले व्यक्ति - व्यंजकता का रंग में रँगाइल बाड़े सन ।
कतहीं प्रगीतात्मक काव्य के आनंद आवता ।
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कतहीं प्रगीतात्मक काव्य के आनंद आवता ।
दोसर विशेषता बा लेखक के व्यंग्य - विनोद के प्रवृत्ति ।
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दोसर विशेषता बा लेखक के व्यंग्य - विनोद के प्रवृत्ति ।
कवनो भाषा के गद्य साहित्य जतने समृद्ध होई , ऊ भाषा ओतने विकसित मान जाले ।
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कवनो भाषा के गद्य साहित्य जतने समृद्ध होई , ऊ भाषा ओतने विकसित मान जाले ।
विवेकी राय के तमाम निबंध विकासमान बोली के भाषा के प्रौढ़ता प्रदान कइलन स ।
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विवेकी राय के तमाम निबंध विकासमान बोली के भाषा के प्रौढ़ता प्रदान कइलन स ।
“ विवेकी राय के हिन्दी - भोजपुरी के कृतित्वे - भर आंचलिक ना रहे , उहाँ के शख्सियतो एड़ी से चोटी ले आंचलिकता से लैस रहे - सहनशीलता आ जीवट से लबालब भइल ।
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“ विवेकी राय के हिन्दी - भोजपुरी के कृतित्वे - भर आंचलिक ना रहे , उहाँ के शख्सियतो एड़ी से चोटी ले आंचलिकता से लैस रहे - सहनशीलता आ जीवट से लबालब भइल ।
तबे नू , अढ़ाई दशक पहिले हृदयाघात के हरु पटे त विजयी भइलीं ।
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तबे नू , अढ़ाई दशक पहिले हृदयाघात के हरु पटे त विजयी भइलीं ।
सतरह साल पहिले जब पक्षाघात के शिकार दहिना अलँग कहला में ना रहल , त बायाँ हाथ से लिखे के सिलसिला शुरू कऽ दिहलीं ।
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सतरह साल पहिले जब पक्षाघात के शिकार दहिना अलँग कहला में ना रहल , त बायाँ हाथ से लिखे के सिलसिला शुरू कऽ दिहलीं ।
बाकिर एह बेर उहाँ के मउवत के चुनौती कबूल ना कऽ पवलीं आ बाबा विश्वनाथ के नगरी काशी के अस्पताल में गंगा मइया के गोदी में आखिरी साँस लिहलीं ।
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बाकिर एह बेर उहाँ के मउवत के चुनौती कबूल ना कऽ पवलीं आ बाबा विश्वनाथ के नगरी काशी के अस्पताल में गंगा मइया के गोदी में आखिरी साँस लिहलीं ।
अतिशय सज्जनता आ साधुता के प्रतिमूर्ति , गँवई जिनिगी के अद्भुत चितेरा , गँवई गंध गुलाब ’ से साहित्य - वाटिका के गमगमावे वाला ‘ मनबोध मास्टर ’ के हमार अशेष प्रणामांजलि !
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अतिशय सज्जनता आ साधुता के प्रतिमूर्ति , गँवई जिनिगी के अद्भुत चितेरा , गँवई गंध गुलाब ’ से साहित्य - वाटिका के गमगमावे वाला ‘ मनबोध मास्टर ’ के हमार अशेष प्रणामांजलि !
आजु स्टाफ रूम में इंस्पेक्शन के बात एक - एक क के उघरत रहे ।
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आजु स्टाफ रूम में इंस्पेक्शन के बात एक - एक क के उघरत रहे ।
हमरा प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ‘ सेंगर ’ जी याद आ गइल रहीं आ हम भावुक हो गइल रहीं ।
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हमरा प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ‘ सेंगर ’ जी याद आ गइल रहीं आ हम भावुक हो गइल रहीं ।
5 जनवरी के उहाँ से खड़े - खड़े भइल आधा घंटा के बतकही के एक - एक शब्द हमरा याद रहे ।
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5 जनवरी के उहाँ से खड़े - खड़े भइल आधा घंटा के बतकही के एक - एक शब्द हमरा याद रहे ।
हमार कलिग लोग के भी आँखि भरि आइल ।
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हमार कलिग लोग के भी आँखि भरि आइल ।
भइल ई रहे कि सेंगर जी का विद्यालय के एगो सब - स्टाफ के दूनो किडनी फेल हो गइल ।
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भइल ई रहे कि सेंगर जी का विद्यालय के एगो सब - स्टाफ के दूनो किडनी फेल हो गइल ।
ओकरा तीन गो लइकी रही सन आ एकहूँ के अभी बियाह ना भइल रहे ।
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ओकरा तीन गो लइकी रही सन आ एकहूँ के अभी बियाह ना भइल रहे ।
ओह गरीब परिवार के कमाई के साधन बस ईहे नोकरी रहे ।
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ओह गरीब परिवार के कमाई के साधन बस ईहे नोकरी रहे ।
घर - परिवार आ नाता - रिश्ता में केहूँ अइसन ना मिलल जेकर किडनी मैच करो ।
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घर - परिवार आ नाता - रिश्ता में केहूँ अइसन ना मिलल जेकर किडनी मैच करो ।
धीरे - धीरे एह परिवार के आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गइल ।
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धीरे - धीरे एह परिवार के आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गइल ।
सेंगर जी के ब्लड ग्रुप मैच करत रहे ।
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सेंगर जी के ब्लड ग्रुप मैच करत रहे ।
ऊ बिना घरे केहू के बतवले चुपचाप आपन किडनी ओह आदमी के दान क दिहले ।
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ऊ बिना घरे केहू के बतवले चुपचाप आपन किडनी ओह आदमी के दान क दिहले ।
अतने ना ओकराके तीन बोतल खूनो दिहले ।
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अतने ना ओकराके तीन बोतल खूनो दिहले ।
ई राज घरे तब खुलल जब उनुका सङ के पढ़ल एगो डॉक्टर घरे आइल आ बचपनवाला स्टाइल में मुक्का - मुक्की शुरू कइलस ।
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ई राज घरे तब खुलल जब उनुका सङ के पढ़ल एगो डॉक्टर घरे आइल आ बचपनवाला स्टाइल में मुक्का - मुक्की शुरू कइलस ।
जसहीं जगह पर छुआइल कि ओकरा मुँह से निकलल - आरे तोर किडनी ?
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जसहीं जगह पर छुआइल कि ओकरा मुँह से निकलल - आरे तोर किडनी ?
आ फेरु त हंगामा शुरू ।
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आ फेरु त हंगामा शुरू ।
पत्नी के मनावे में तीन दिन लागल ।
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पत्नी के मनावे में तीन दिन लागल ।
आजु ओह आदमी के मए लइकी बियहा के ससुरा चलि गइली सन आ ऊहो सामान्य जीवन जी रहल बा ।
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आजु ओह आदमी के मए लइकी बियहा के ससुरा चलि गइली सन आ ऊहो सामान्य जीवन जी रहल बा ।
सेंगर जी त एकदम फिटफाट रहीं ।
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सेंगर जी त एकदम फिटफाट रहीं ।
बिना कवनो लोभ के केहूँ चुपचाप अइसे मदद करे त ओकरा के का कहल जाउ ?
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बिना कवनो लोभ के केहूँ चुपचाप अइसे मदद करे त ओकरा के का कहल जाउ ?
साधारन आदमी त नाहिंए कहाई ऊ ।
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साधारन आदमी त नाहिंए कहाई ऊ ।
ओह स्टाफ के एगो दमाद जवन बेंगलुरु में इंजीनियर बाटे , फ्लाइट से कोलकाता खाली उहाँसे मिले खाती आइल रहे ।
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ओह स्टाफ के एगो दमाद जवन बेंगलुरु में इंजीनियर बाटे , फ्लाइट से कोलकाता खाली उहाँसे मिले खाती आइल रहे ।
कालिदास सर अपना एगो मित्र के अनुभव शेयर कइलीं ।
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कालिदास सर अपना एगो मित्र के अनुभव शेयर कइलीं ।
ऊ जापान गइल रहन ।
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ऊ जापान गइल रहन ।
एक दिन ट्रेन में जवन बैग लेके बइठल रहन ओकर एक ओर के थोरे सिलाई टूटल रहे ।
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एक दिन ट्रेन में जवन बैग लेके बइठल रहन ओकर एक ओर के थोरे सिलाई टूटल रहे ।
एगो जापानी नागरिक के ओ पर नजर चलि गइल रहे ।
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एगो जापानी नागरिक के ओ पर नजर चलि गइल रहे ।
ऊ जब देखलसि कि ई ओने नइखन देखत त अपना बैग में से निडिलवाला मशीन निकललसि आ उनुकर आँखि बचावत बेगवा सी दिहलसि ।
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ऊ जब देखलसि कि ई ओने नइखन देखत त अपना बैग में से निडिलवाला मशीन निकललसि आ उनुकर आँखि बचावत बेगवा सी दिहलसि ।
अभी इनकर ध्यान ओह पर जाइत कि ओकरा पहिलहीं ओकर स्टेशन आ गइल आ बिना कुछ बतवले चुपचाप उतरि गइल ।
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अभी इनकर ध्यान ओह पर जाइत कि ओकरा पहिलहीं ओकर स्टेशन आ गइल आ बिना कुछ बतवले चुपचाप उतरि गइल ।
जहाँ का बच्चा - बच्चा में एह तरह के नैतिक मूल्य भरल गइल बा ओह देश के तरक्की भला कइसे रुकी ?
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जहाँ का बच्चा - बच्चा में एह तरह के नैतिक मूल्य भरल गइल बा ओह देश के तरक्की भला कइसे रुकी ?
सुनील सिन्हा के स्तंभ शुक के सुनील सिन्हा जी के भेजल “ भोजपुरी पंचायत ” के कई गो पहिले के अंक मिलल ।
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सुनील सिन्हा के स्तंभ शुक के सुनील सिन्हा जी के भेजल “ भोजपुरी पंचायत ” के कई गो पहिले के अंक मिलल ।
हम दू महीना पहिले आग्रह कइले रहीं खास करके उहेंवाला स्तंभ पढ़े खातिर ।
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हम दू महीना पहिले आग्रह कइले रहीं खास करके उहेंवाला स्तंभ पढ़े खातिर ।
उहाँके स्तंभ “ आत्म - विश्वास ” हम बहुत चाव से पढ़ींले ।
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उहाँके स्तंभ “ आत्म - विश्वास ” हम बहुत चाव से पढ़ींले ।
ओकर एक - एक बात जइसे हमरा मन का गहराई में उतरत जाला , काहेंकि एह प्रक्रिया में हमार पूरा विश्वास बाटे ।
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ओकर एक - एक बात जइसे हमरा मन का गहराई में उतरत जाला , काहेंकि एह प्रक्रिया में हमार पूरा विश्वास बाटे ।
एकरा पीछा ईहो एगो कारन हो सकेला कि दू साल पहिले हम गोवा जाके लीडरशिप के ट्रेनिंग लेले रहीं ।
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f2-55
एकरा पीछा ईहो एगो कारन हो सकेला कि दू साल पहिले हम गोवा जाके लीडरशिप के ट्रेनिंग लेले रहीं ।
अबहिंयो याद बा जब हमनीके मए साथी का मुँह से ईहे निकलल रहे कि कम से कम एक हप्ता अउर ट्रेनिंग के अवधि बढ़ि गइल रहित ।
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अबहिंयो याद बा जब हमनीके मए साथी का मुँह से ईहे निकलल रहे कि कम से कम एक हप्ता अउर ट्रेनिंग के अवधि बढ़ि गइल रहित ।
रोज सात घंटा के पढाई होखे ।
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रोज सात घंटा के पढाई होखे ।
बीच में खाली एक घंटा के ब्रेक ।
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बीच में खाली एक घंटा के ब्रेक ।
पढाई हमनी के अतना भावल कि ओह दौरान केहूँ के मोबाइल ऑन ना रहत रहे , ढेर से ढेर साइलेंट मोड में आ टॉयलेट जाए के त केहूँ नाँवे ना लेइ , डर रहे कि कुछ छूटि जाई ।
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पढाई हमनी के अतना भावल कि ओह दौरान केहूँ के मोबाइल ऑन ना रहत रहे , ढेर से ढेर साइलेंट मोड में आ टॉयलेट जाए के त केहूँ नाँवे ना लेइ , डर रहे कि कुछ छूटि जाई ।
हमनी के अतना विश्वास हो गइल रहे कि कवनो विद्यार्थी के आसानी से पटरी पर ले आइल जा सकता , संसार के कवनो रोग से बिना दवा खइले छुटकारा पावल जा सकता , ढंग से काउंसिलिंग क दिहल जाव त केहू आत्महत्या ना करी कबो ।
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हमनी के अतना विश्वास हो गइल रहे कि कवनो विद्यार्थी के आसानी से पटरी पर ले आइल जा सकता , संसार के कवनो रोग से बिना दवा खइले छुटकारा पावल जा सकता , ढंग से काउंसिलिंग क दिहल जाव त केहू आत्महत्या ना करी कबो ।
हमरा एह बात पर सभ विश्वास ना कर पाई , ई हम जानतानी बाकिर हमरा विश्वास में आजुओ कवनो कमी नइखे आइल ।
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f2-61
हमरा एह बात पर सभ विश्वास ना कर पाई , ई हम जानतानी बाकिर हमरा विश्वास में आजुओ कवनो कमी नइखे आइल ।
फेरु फगुआ बदनाम होई ।
s-62
f2-62
फेरु फगुआ बदनाम होई ।
फगुआ जइसे - जइसे नगिचात जाता , हमार साँस फूलल जाता ।
s-63
f2-63
फगुआ जइसे - जइसे नगिचात जाता , हमार साँस फूलल जाता ।
फेरु फगुआ बदनाम होई ।
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f2-64
फेरु फगुआ बदनाम होई ।
रंग में हई गड़बड़ी होले त मिठाई हइसे बनतारी सन आजु - काल्हु ।
s-65
f2-65
रंग में हई गड़बड़ी होले त मिठाई हइसे बनतारी सन आजु - काल्हु ।
अब फूहर गाना बाजे शुरू हो जाई ।
s-66
f2-66
अब फूहर गाना बाजे शुरू हो जाई ।
हमरा आजु तक ना बुझाइल कि हमनी का खाली टिप्पणिए देबे खातिर पैदा भइल बानी जा कि कुछु करबो करबि जा ।
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f2-67
हमरा आजु तक ना बुझाइल कि हमनी का खाली टिप्पणिए देबे खातिर पैदा भइल बानी जा कि कुछु करबो करबि जा ।
बाजारू रंग लगवला के बहुत नुकसान बा आ महङा रंग जे कीन सकता , ऊ दू चुटकी अबीरे से काम चला लेला भा छी - मानुख में ओकर होली निकलि जाले ।
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f2-68
बाजारू रंग लगवला के बहुत नुकसान बा आ महङा रंग जे कीन सकता , ऊ दू चुटकी अबीरे से काम चला लेला भा छी - मानुख में ओकर होली निकलि जाले ।
त लोग रंग खेलल छोड़ि देसु ?
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f2-69
त लोग रंग खेलल छोड़ि देसु ?
रंगे से त होली हटे आ किसिम किसिम का रंगे से त जिनिगी बनेले ।
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f2-70
रंगे से त होली हटे आ किसिम किसिम का रंगे से त जिनिगी बनेले ।
फेरु प्रिंट से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक के मन - मिजाज एक हप्ता पहिलहीं से सत्यानाशी भाषणबाजी से काहें रङा जाला ?
s-71
f2-71
फेरु प्रिंट से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक के मन - मिजाज एक हप्ता पहिलहीं से सत्यानाशी भाषणबाजी से काहें रङा जाला ?
अतने बा त तथाकथित बुद्धिजीवी लोग के दुअरा - दुअरा जाके लोगन के ज्ञान चक्षु खोलेके चाहीं ।
s-72
f2-72
अतने बा त तथाकथित बुद्धिजीवी लोग के दुअरा - दुअरा जाके लोगन के ज्ञान चक्षु खोलेके चाहीं ।
खाली मुँह के खुजली मिटवला से कुछु ना बदली , थोरे टाइम त निकालहीं के परी आ नवका पीढ़ी के फेसो करेके परी ।
s-73
f2-73
खाली मुँह के खुजली मिटवला से कुछु ना बदली , थोरे टाइम त निकालहीं के परी आ नवका पीढ़ी के फेसो करेके परी ।
लेखको लोग सवाल का घेरा में ई नीमन ना कहाई कि लेखको लोग अब सवाल का घेरा में आवे लगलन ।
s-74
f2-74
लेखको लोग सवाल का घेरा में ई नीमन ना कहाई कि लेखको लोग अब सवाल का घेरा में आवे लगलन ।
ई का भइल कि जब देश में सब ठीकठाक बा त केहूँ के अनकस बरे लागता आ तनिक चिंताजनक भइला पर बिल्कुल मौन माने सभ नीमन चल रहल बा ।
s-75
f2-75
ई का भइल कि जब देश में सब ठीकठाक बा त केहूँ के अनकस बरे लागता आ तनिक चिंताजनक भइला पर बिल्कुल मौन माने सभ नीमन चल रहल बा ।
जेकर गतिविधि राष्ट्रीय सुरक्षा का खिलाफ बाइ , ओकरा सङे बानी अपने सभ आ जेकरा के देश थू - थू कर रहल बा ओकरा बाहबाही में राउर कलम कवनो कोर - कसर नइखे छोड़त ।
s-76
f2-76
जेकर गतिविधि राष्ट्रीय सुरक्षा का खिलाफ बाइ , ओकरा सङे बानी अपने सभ आ जेकरा के देश थू - थू कर रहल बा ओकरा बाहबाही में राउर कलम कवनो कोर - कसर नइखे छोड़त ।
अउर त अउर , जेकरा अनुशासनहीनता के दुष्प्रभाव देश भर के छात्रन पर पड़ रहल बा ओकरा के महिमामंडित करे में रउरा तनिको आहस ना लागे ।
s-77
f2-77
अउर त अउर , जेकरा अनुशासनहीनता के दुष्प्रभाव देश भर के छात्रन पर पड़ रहल बा ओकरा के महिमामंडित करे में रउरा तनिको आहस ना लागे ।
बताईं ईहे लेखक के धर्म हटे ?
s-78
f2-78
बताईं ईहे लेखक के धर्म हटे ?
रउरा एही स्वाभिमान के सम्मान होखेके चाहीं ?
s-79
f2-79
रउरा एही स्वाभिमान के सम्मान होखेके चाहीं ?
ई सभ जानता कि तरह-तरह के तर्क बनाम गलथेथई से कुछ बने ना , बिगड़बे करेला ।
s-80
f2-80
ई सभ जानता कि तरह-तरह के तर्क बनाम गलथेथई से कुछ बने ना , बिगड़बे करेला ।
हमरा खयाल से हमनी सभ लेखकन के राजनीति आ गोलबंदी से अलगे रहेके चाहीं ।
s-81
f2-81
हमरा खयाल से हमनी सभ लेखकन के राजनीति आ गोलबंदी से अलगे रहेके चाहीं ।
आजुओ लेखक लोगन पर से लोगन के भरोसा नइखे हटल ।
s-82
f2-82
आजुओ लेखक लोगन पर से लोगन के भरोसा नइखे हटल ।
तथाकथित अश्लीलता एह घरी भोजपुरी के बहुत बिचित्र स्थिति हो गइल बा ।
s-83
f2-83
तथाकथित अश्लीलता एह घरी भोजपुरी के बहुत बिचित्र स्थिति हो गइल बा ।
जेकरे मन आवता ऊ अश्लील कहि देता भा दागदार बता देता ।
s-84
f2-84
जेकरे मन आवता ऊ अश्लील कहि देता भा दागदार बता देता ।
एह विषय पर ना चाहते हुए भी हमहूँ लिखलीं आ परिचर्चो आयोजित कइलीं ।
s-85
f2-85
एह विषय पर ना चाहते हुए भी हमहूँ लिखलीं आ परिचर्चो आयोजित कइलीं ।
सोचलीं कि सत्य का ग्यान भइला का बाद ई कुल्हि बंद हो जाई बाकिर काहेंके ?
s-86
f2-86
सोचलीं कि सत्य का ग्यान भइला का बाद ई कुल्हि बंद हो जाई बाकिर काहेंके ?
कुछ लोग त बाकायदा झंडा उठाके चल देले बाड़न बिना ई जनले कि अश्लीलता के पैमाना का होई ?
s-87
f2-87
कुछ लोग त बाकायदा झंडा उठाके चल देले बाड़न बिना ई जनले कि अश्लीलता के पैमाना का होई ?
भोजपुरी बीर आ बहादुर लोगन के भाषा हटे ।
s-88
f2-88
भोजपुरी बीर आ बहादुर लोगन के भाषा हटे ।
गलौज आ शृंगारिक हँसी - मजाक भोजपुरी के सुभाव हटे आ ई सभ भोजपुरिया के ताकत ह ।
s-90
f2-90
गलौज आ शृंगारिक हँसी - मजाक भोजपुरी के सुभाव हटे आ ई सभ भोजपुरिया के ताकत ह ।
सुनतानी कि कहीं - कहीं सरकारी फरमानो जारी होखे लागल बा आउर कुछ लोग त कानूने बनवावे पर आमादा हो गइल बाड़न ।
s-91
f2-91
सुनतानी कि कहीं - कहीं सरकारी फरमानो जारी होखे लागल बा आउर कुछ लोग त कानूने बनवावे पर आमादा हो गइल बाड़न ।
कहीं अइसन मत होखे कि एंटीबायोटिक का प्रयोग से ऊहो बैक्टीरिया मरि जा सन जवन हमनीके शरीर का सहज सुभाव के रक्षा करेलन स ।
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f2-92
कहीं अइसन मत होखे कि एंटीबायोटिक का प्रयोग से ऊहो बैक्टीरिया मरि जा सन जवन हमनीके शरीर का सहज सुभाव के रक्षा करेलन स ।
एही विषय पर बक्सर में एक बेर मनोज चौबे जी से बात होत रहे ।
s-93
f2-93
एही विषय पर बक्सर में एक बेर मनोज चौबे जी से बात होत रहे ।
उहाँका कहलीं कि आजु - काल्हु एकर झंडा उठाके जेतना लोग चल रहल बा ओहमें ऊहो लोग शामिल बा जे एह समस्या का मूल में बा ।
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f2-94
उहाँका कहलीं कि आजु - काल्हु एकर झंडा उठाके जेतना लोग चल रहल बा ओहमें ऊहो लोग शामिल बा जे एह समस्या का मूल में बा ।
ओह तथाकथित साफ - सुथरा गायक लोग से भी पूछल जाएके चाहीं कि भोजपुरी गायकी में “ चोली - साया ” लेके के आइल ।
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f2-95
ओह तथाकथित साफ - सुथरा गायक लोग से भी पूछल जाएके चाहीं कि भोजपुरी गायकी में “ चोली - साया ” लेके के आइल ।
हमार माथा ठनकल ।
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हमार माथा ठनकल ।
त ईहो अपना के निउज में बनवले राखेके एगो जरिया हो गइल बा ?
s-97
f2-97
त ईहो अपना के निउज में बनवले राखेके एगो जरिया हो गइल बा ?
फुहरकम केहूँ के नीक ना लागे , कवनो जुग में नइखे लागल त हमरा काहें लागी , बाकिर एक बेरि हिंदियो गीतन पर त ध्यान दीहल जाव , जवन घर - घर में लइका - लइकी सुनतारे सन ।
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f2-98
फुहरकम केहूँ के नीक ना लागे , कवनो जुग में नइखे लागल त हमरा काहें लागी , बाकिर एक बेरि हिंदियो गीतन पर त ध्यान दीहल जाव , जवन घर - घर में लइका - लइकी सुनतारे सन ।
हम जानतानी कि ओहिजा रउरा अबस बानी , राउर कवनो कंट्रोल नइखे ।
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f2-99
हम जानतानी कि ओहिजा रउरा अबस बानी , राउर कवनो कंट्रोल नइखे ।
ढेर से ढेर रउँआ एगो सेफ कमेंट मारबि - “ पता ना आजु - काल्हु के लइका का सुनतारे सन , हमनी का बेर त भिखारी ठाकुर के बिदेशिया आ महेंदर मिसिर के पुरबी के कवनो जोड़े ना रहे ( भोजपुरी के बात करबि तब ) नाहीं त रफी , मुकेश , लता आदि के नाँव लेबि आ आँखि बचाइबि ।
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f2-100
ढेर से ढेर रउँआ एगो सेफ कमेंट मारबि - “ पता ना आजु - काल्हु के लइका का सुनतारे सन , हमनी का बेर त भिखारी ठाकुर के बिदेशिया आ महेंदर मिसिर के पुरबी के कवनो जोड़े ना रहे ( भोजपुरी के बात करबि तब ) नाहीं त रफी , मुकेश , लता आदि के नाँव लेबि आ आँखि बचाइबि ।
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