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Universal Dependencies - Bhojpuri - BHTB

LanguageBhojpuri
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s-101 खैर हम जहाँ से शुरु कइले रहीं ओहिजे लवटल जाव
s-102 सचहूं पप्पू बनि के जीयल आसान ना होखे
s-103 के कहल कि चमक - चमक के , झमक-झमक के , उचकि - उचकि के लपकि - लपकि के , देहि भाँजत गेना नियर उछलत चउए पर चलऽ जा
s-104 राहे - राहे रासलीला , खेते - खेते वृंदावन …… फागुन के महीना , खेत , खरिहान , कटिया , धूप , बसंती चोली , गुलाबी चुनरी , मस्त चाल …… अजी , धनिया से के कहल कि अब चुनरी रँगा
s-105 तबे नू एह अइसन कलम के जादूगरी पर चकित होत डॉ. रामप्रवेश शास्त्री के लिखे के पड़ल
s-106 विवेकी राय जी के चुनरी के रंग , बिनावट , कारीगरी के जवन भी संज्ञा अच्छा लागे , दिहला में कवनो हरज ना बा , लेकिन अइसन कला के पटतर दिहल कठिन होला
s-107 जवन नित नया बा , ओके पुरान बटखरा से वजन कइले अतने लाभ हो सकेला कि पता चलि जाई कि हमरा जानकारी के कसौटी में कतना पर अधिका उतरल बा
s-108 अनिल कुमार आंजनेय एह कृति के भोजपुरी अंचल के दरपन बतावत कहले रहलीं - के कहल चुनरी रँगा भोजपुरी अंचल के दर्पण
s-109 जेके भोजपुरी जिनिगी में , अंचल में गहराई तक पइठे के बा , ओके समीक्ष्य पुस्तक पढ़ल बहुते आवश्यक बा
s-110 पुस्तक के गहरे पैठ अंतर्दृष्टि के साक्षी
s-111 आंजनेय जी के एह कहनाम से सहमति जतावत चंद्रशेखर तिवारी लिखले बाड़न - एह संग्रह के पढ़िके कहल जा सकेला कि डॉ. विवेकी राय जी अउरी साहित्यकारन खानी कागद की लेखी ना कहिके महात्मा कबीर का तरह आँखिन के देखी कहले बाड़न , जवना से उनकर निबंध पाठक पर आपन एगो विशिष्ट छाप छोड़े में सफल भइल बाड़न
s-112 एह पुस्तक के प्रकाशन निश्चित रूप से भोजपुरी साहित्य के ललित निबंधन का इतिहास में एगो महत्वपूर्ण घटना
s-113 अपना भाषाई कौशल , व्यंगात्मकता रचनात्मक दक्षता के बदउलत राय साहब के निबंध एह विधा के विकास - समृद्धि के दिसाईं मील के पाथर साबित भइलन
s-114 एह संबंध में डॉ. जया पाण्डेय के साफ - साफ विचार बा - विवेकी राय जी के कुल्हि निबंध शुरू से आखिर ले व्यक्ति - व्यंजकता का रंग में रँगाइल बाड़े सन
s-115 कतहीं -
s-116 कतहीं प्रगीतात्मक काव्य के आनंद आवता
s-117 दोसर विशेषता बा लेखक के व्यंग्य - विनोद के प्रवृत्ति
s-118 कवनो भाषा के गद्य साहित्य जतने समृद्ध होई , भाषा ओतने विकसित मान जाले
s-119 विवेकी राय के तमाम निबंध विकासमान बोली के भाषा के प्रौढ़ता प्रदान कइलन
s-120 विवेकी राय के हिन्दी - भोजपुरी के कृतित्वे - भर आंचलिक ना रहे , उहाँ के शख्सियतो एड़ी से चोटी ले आंचलिकता से लैस रहे - सहनशीलता जीवट से लबालब भइल
s-121 तबे नू , अढ़ाई दशक पहिले हृदयाघात के हरु पटे विजयी भइलीं
s-122 सतरह साल पहिले जब पक्षाघात के शिकार दहिना अलँग कहला में ना रहल , बायाँ हाथ से लिखे के सिलसिला शुरू कऽ दिहलीं
s-123 बाकिर एह बेर उहाँ के मउवत के चुनौती कबूल ना कऽ पवलीं बाबा विश्वनाथ के नगरी काशी के अस्पताल में गंगा मइया के गोदी में आखिरी साँस लिहलीं
s-124 अतिशय सज्जनता साधुता के प्रतिमूर्ति , गँवई जिनिगी के अद्भुत चितेरा , गँवई गंध गुलाब से साहित्य - वाटिका के गमगमावे वाला मनबोध मास्टर के हमार अशेष प्रणामांजलि !
s-125 आजु स्टाफ रूम में इंस्पेक्शन के बात एक - एक के उघरत रहे
s-126 हमरा प्राचार्य डॉ. संजय सिंह सेंगर जी याद गइल रहीं हम भावुक हो गइल रहीं
s-127 5 जनवरी के उहाँ से खड़े - खड़े भइल आधा घंटा के बतकही के एक - एक शब्द हमरा याद रहे
s-128 हमार कलिग लोग के भी आँखि भरि आइल
s-129 भइल रहे कि सेंगर जी का विद्यालय के एगो सब - स्टाफ के दूनो किडनी फेल हो गइल
s-130 ओकरा तीन गो लइकी रही सन एकहूँ के अभी बियाह ना भइल रहे
s-131 ओह गरीब परिवार के कमाई के साधन बस ईहे नोकरी रहे
s-132 घर - परिवार नाता - रिश्ता में केहूँ अइसन ना मिलल जेकर किडनी मैच करो
s-133 धीरे - धीरे एह परिवार के आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गइल
s-134 सेंगर जी के ब्लड ग्रुप मैच करत रहे
s-135 बिना घरे केहू के बतवले चुपचाप आपन किडनी ओह आदमी के दान दिहले
s-136 अतने ना ओकराके तीन बोतल खूनो दिहले
s-137 राज घरे तब खुलल जब उनुका सङ के पढ़ल एगो डॉक्टर घरे आइल बचपनवाला स्टाइल में मुक्का - मुक्की शुरू कइलस
s-138 जसहीं जगह पर छुआइल कि ओकरा मुँह से निकलल - आरे तोर किडनी ?
s-139 फेरु हंगामा शुरू
s-140 पत्नी के मनावे में तीन दिन लागल
s-141 आजु ओह आदमी के मए लइकी बियहा के ससुरा चलि गइली सन ऊहो सामान्य जीवन जी रहल बा
s-142 सेंगर जी एकदम फिटफाट रहीं
s-143 बिना कवनो लोभ के केहूँ चुपचाप अइसे मदद करे ओकरा के का कहल जाउ ?
s-144 साधारन आदमी नाहिंए कहाई
s-145 ओह स्टाफ के एगो दमाद जवन बेंगलुरु में इंजीनियर बाटे , फ्लाइट से कोलकाता खाली उहाँसे मिले खाती आइल रहे
s-146 कालिदास सर अपना एगो मित्र के अनुभव शेयर कइलीं
s-147 जापान गइल रहन
s-148 एक दिन ट्रेन में जवन बैग लेके बइठल रहन ओकर एक ओर के थोरे सिलाई टूटल रहे
s-149 एगो जापानी नागरिक के पर नजर चलि गइल रहे
s-150 जब देखलसि कि ओने नइखन देखत अपना बैग में से निडिलवाला मशीन निकललसि उनुकर आँखि बचावत बेगवा सी दिहलसि
s-151 अभी इनकर ध्यान ओह पर जाइत कि ओकरा पहिलहीं ओकर स्टेशन गइल बिना कुछ बतवले चुपचाप उतरि गइल
s-152 जहाँ का बच्चा - बच्चा में एह तरह के नैतिक मूल्य भरल गइल बा ओह देश के तरक्की भला कइसे रुकी ?
s-153 सुनील सिन्हा के स्तंभ शुक के सुनील सिन्हा जी के भेजल भोजपुरी पंचायत के कई गो पहिले के अंक मिलल
s-154 हम दू महीना पहिले आग्रह कइले रहीं खास करके उहेंवाला स्तंभ पढ़े खातिर
s-155 उहाँके स्तंभ आत्म - विश्वास हम बहुत चाव से पढ़ींले
s-156 ओकर एक - एक बात जइसे हमरा मन का गहराई में उतरत जाला , काहेंकि एह प्रक्रिया में हमार पूरा विश्वास बाटे
s-157 एकरा पीछा ईहो एगो कारन हो सकेला कि दू साल पहिले हम गोवा जाके लीडरशिप के ट्रेनिंग लेले रहीं
s-158 अबहिंयो याद बा जब हमनीके मए साथी का मुँह से ईहे निकलल रहे कि कम से कम एक हप्ता अउर ट्रेनिंग के अवधि बढ़ि गइल रहित
s-159 रोज सात घंटा के पढाई होखे
s-160 बीच में खाली एक घंटा के ब्रेक
s-161 पढाई हमनी के अतना भावल कि ओह दौरान केहूँ के मोबाइल ऑन ना रहत रहे , ढेर से ढेर साइलेंट मोड में टॉयलेट जाए के केहूँ नाँवे ना लेइ , डर रहे कि कुछ छूटि जाई
s-162 हमनी के अतना विश्वास हो गइल रहे कि कवनो विद्यार्थी के आसानी से पटरी पर ले आइल जा सकता , संसार के कवनो रोग से बिना दवा खइले छुटकारा पावल जा सकता , ढंग से काउंसिलिंग दिहल जाव केहू आत्महत्या ना करी कबो
s-163 हमरा एह बात पर सभ विश्वास ना कर पाई , हम जानतानी बाकिर हमरा विश्वास में आजुओ कवनो कमी नइखे आइल
s-164 फेरु फगुआ बदनाम होई
s-165 फगुआ जइसे - जइसे नगिचात जाता , हमार साँस फूलल जाता
s-166 फेरु फगुआ बदनाम होई
s-167 रंग में हई गड़बड़ी होले मिठाई हइसे बनतारी सन आजु - काल्हु
s-168 अब फूहर गाना बाजे शुरू हो जाई
s-169 हमरा आजु तक ना बुझाइल कि हमनी का खाली टिप्पणिए देबे खातिर पैदा भइल बानी जा कि कुछु करबो करबि जा
s-170 बाजारू रंग लगवला के बहुत नुकसान बा महङा रंग जे कीन सकता , दू चुटकी अबीरे से काम चला लेला भा छी - मानुख में ओकर होली निकलि जाले
s-171 लोग रंग खेलल छोड़ि देसु ?
s-172 रंगे से होली हटे किसिम किसिम का रंगे से जिनिगी बनेले
s-173 फेरु प्रिंट से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक के मन - मिजाज एक हप्ता पहिलहीं से सत्यानाशी भाषणबाजी से काहें रङा जाला ?
s-174 अतने बा तथाकथित बुद्धिजीवी लोग के दुअरा - दुअरा जाके लोगन के ज्ञान चक्षु खोलेके चाहीं
s-175 खाली मुँह के खुजली मिटवला से कुछु ना बदली , थोरे टाइम निकालहीं के परी नवका पीढ़ी के फेसो करेके परी
s-176 लेखको लोग सवाल का घेरा में नीमन ना कहाई कि लेखको लोग अब सवाल का घेरा में आवे लगलन
s-177 का भइल कि जब देश में सब ठीकठाक बा केहूँ के अनकस बरे लागता तनिक चिंताजनक भइला पर बिल्कुल मौन माने सभ नीमन चल रहल बा
s-178 जेकर गतिविधि राष्ट्रीय सुरक्षा का खिलाफ बाइ , ओकरा सङे बानी अपने सभ जेकरा के देश थू - थू कर रहल बा ओकरा बाहबाही में राउर कलम कवनो कोर - कसर नइखे छोड़त
s-179 अउर अउर , जेकरा अनुशासनहीनता के दुष्प्रभाव देश भर के छात्रन पर पड़ रहल बा ओकरा के महिमामंडित करे में रउरा तनिको आहस ना लागे
s-180 बताईं ईहे लेखक के धर्म हटे ?
s-181 रउरा एही स्वाभिमान के सम्मान होखेके चाहीं ?
s-182 सभ जानता कि तरह-तरह के तर्क बनाम गलथेथई से कुछ बने ना , बिगड़बे करेला
s-183 हमरा खयाल से हमनी सभ लेखकन के राजनीति गोलबंदी से अलगे रहेके चाहीं
s-184 आजुओ लेखक लोगन पर से लोगन के भरोसा नइखे हटल
s-185 तथाकथित अश्लीलता एह घरी भोजपुरी के बहुत बिचित्र स्थिति हो गइल बा
s-186 जेकरे मन आवता अश्लील कहि देता भा दागदार बता देता
s-187 एह विषय पर ना चाहते हुए भी हमहूँ लिखलीं परिचर्चो आयोजित कइलीं
s-188 सोचलीं कि सत्य का ग्यान भइला का बाद कुल्हि बंद हो जाई बाकिर काहेंके ?
s-189 कुछ लोग बाकायदा झंडा उठाके चल देले बाड़न बिना जनले कि अश्लीलता के पैमाना का होई ?
s-190 भोजपुरी बीर बहादुर लोगन के भाषा हटे
s-191 गारी -
s-192 गलौज शृंगारिक हँसी - मजाक भोजपुरी के सुभाव हटे सभ भोजपुरिया के ताकत
s-193 सुनतानी कि कहीं - कहीं सरकारी फरमानो जारी होखे लागल बा आउर कुछ लोग कानूने बनवावे पर आमादा हो गइल बाड़न
s-194 कहीं अइसन मत होखे कि एंटीबायोटिक का प्रयोग से ऊहो बैक्टीरिया मरि जा सन जवन हमनीके शरीर का सहज सुभाव के रक्षा करेलन
s-195 एही विषय पर बक्सर में एक बेर मनोज चौबे जी से बात होत रहे
s-196 उहाँका कहलीं कि आजु - काल्हु एकर झंडा उठाके जेतना लोग चल रहल बा ओहमें ऊहो लोग शामिल बा जे एह समस्या का मूल में बा
s-197 ओह तथाकथित साफ - सुथरा गायक लोग से भी पूछल जाएके चाहीं कि भोजपुरी गायकी में चोली - साया लेके के आइल
s-198 हमार माथा ठनकल
s-199 ईहो अपना के निउज में बनवले राखेके एगो जरिया हो गइल बा ?
s-200 फुहरकम केहूँ के नीक ना लागे , कवनो जुग में नइखे लागल हमरा काहें लागी , बाकिर एक बेरि हिंदियो गीतन पर ध्यान दीहल जाव , जवन घर - घर में लइका - लइकी सुनतारे सन

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