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| इसके अतिरिक्त गुग्गुल कुंड, भीम गुफा तथा भीमशिला भी दर्शनीय स्थल हैं । |
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| आधा किमी की दूरी पर भैरवनाथ मंदिर है, जहाँ केवल केदारनाथ के पट खुलने और बंद होने के दिन ही पूजन किया जाता है । |
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| भैरव का स्थान उत्तराखंड में क्षेत्रपाल अथवा भूमिदेव के रूप में महत्वपूर्ण है । |
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| यह सोनप्रयाग से 5 किमी आगे और केदारनाथ में 6 किमी पहले (पैदल) पड़ने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ एवं विश्राम स्थल है । |
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| इसकी ऊँचाई केवल 1982 मीटर है । |
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| यहाँ गर्म पानी और ठंडे पानी के दो बहुत ही उत्तम कुंड हैं । |
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| यहाँ गौरी मंदिर है, जो कुछ छोटा है और प्राचीन नहीं है । |
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| जनश्रुति है कि इसी स्थान पर पार्वती ने महादेव को पाने के लिए तपस्या की थी । |
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| मंदिर में गौरी और पार्वती की धातु की मूर्तियाँ हैं । |
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| दूसरा मंदिर राधाकृष्ण का है, जिसे कृष्ण भक्तों का नूतन प्रयास समझा जाना ही उत्तम होगा । |
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| मंदिर के गर्भगृह में नारायण भगवान की सुंदर मूर्ति है । |
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| अन्य मूर्तियों में भू - देवी तथा लक्ष्मी की मूर्तियाँ उल्लेखनीय हैं । |
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| यहाँ अनेक कुंड भी हैं । |
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| इनके नाम ब्रह्म कुंड, रुद्र कुंड और सरस्वती कुंड हैं । |
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| इस मंदिर में अखंड धूनी जलती रहती है । |
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| किंवदंती है कि यह वही अग्नि है, जिसको साक्षी कर शिव ने पार्वती से विवाह किया था । |
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| पार्वती का मायका अर्थात हिमालय नरेश का निवास (संभवतः ग्रीष्म निवास) भी यही बताया जाता है । |
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| भारतीय सेना करती है व्यवस्था । |
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| दीपावली महापर्व के दूसरे दिन (पड़वा) के दिन शीत ऋतु में मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं । |
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| 6 माह तक दीपक जलता रहता है । |
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| बंद करते समय मंदिर में भारतीय सेना द्वारा उपस्थित श्रद्धालुओं को भोज दिया जाता है । |
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| भोज का खर्च भारतीय सेना उठाती है । |
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| पुरोहित ससम्मान पट बंद कर भगवान के विग्रह एवं दंडी को 6 माह तक पहाड़ के नीचे ऊखीमठ में ले जाते हैं । |
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| सेना के जवान भगवान के विग्रह को पालकी में बैंडबाजे से लाते हैं । |
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| प्रायः 10 किमी पैदल यात्रा करनी पड़ती है । |
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| करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक केदारनाथ के कपाट खुलने का समय भी मई माह में होता है । |
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| तब उत्तराखंड की यात्रा आरंभ होती है । |
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| इंदौर में जिस प्रकार से शेरोंवाली माँ की पूजा आस्था तथा विश्वास के साथ की जाती है उसी विश्वास के साथ कोलकाता में काली माँ की पूजा की जाती है । |
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| जिस प्रकार शेरोंवाली माँ के मंदिर में जगराता होता है, उसी प्रकार काली माँ के मंदिर में जगराता होता है । |
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| इसी कारण कोलकातावासी माँ काली के भक्त हैं तथा उनके शक्ति रूप को मानते हैं । |
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| काली मंदिर में दर्शन किए बिना कोलकाता की सैर अधूरी मानी जाती है । |
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| हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित काली मंदिर सन 1855 में बनाया गया था । |
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| इस पुरानी इमारत में दुर्गादेवी तथा शिव की मूर्ति की स्थापना की गई है । |
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| रानी राशमोनी में स्थित इस पौराणिक मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको उपस्थित भक्तजन की भीड़ का सामना करना पड़ेगा । |
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| माँ महाशक्ति के बारे में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं । |
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| एक कथा के अनुसार देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष के यहाँ अपमानित होकर यज्ञ में स्वयं को भस्म कर लिया तब क्रोध में आकर यज्ञ ध्वंस के समय भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया । |
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| इस समय माता सती के शरीर के अंश कहीं - कहीं धरती पर गिरे । |
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| कहते हैं कि उनके पाँव के अंश कोलकाता में जहाँ माँ काली का मंदिर बना है, वहाँ गिरे थे । |
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| इन अंशों ने पत्थर का रूप धारण किया था । |
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| इसी की पूजा - अर्चना की जाती है । |
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| एक और कथा भी प्रचलित है कि भागीरथी नदी के तट पर एक भक्त ने पाँव के अँगूठे के आकार का पत्थर पाया था जो स्वयंभू लिंग था और नकुलेश्वर भैरव का प्रतीक था । |
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| भक्त इसे जंगल में ले गया और माँ काली की पूजा करने लगा । |
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| कोलकाता स्थित प्रसिद्ध काली माँ का मंदिर बहुत ही भव्य है । |
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| इस मंदिर की दीवारों पर बनाई गई टेराकोटा की चित्रकला के अवशेष यहाँ दिखाई देते हैं । |
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| मंदिर के पुजारी काली माँ की मूर्ति को स्नान कराते हैं जिसे स्नान यात्रा के नाम से जाना जाता है । |
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| ऐसा साल में एक बार किया जाता है । |
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| इस दिन अनगिनत भक्तजन आते हैं । |
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| काली मंदिर में दुर्गा पूजा, नवरात्रि तथा दशहरा के दिन देवी की विशेष पूजा की जाती है । |
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| इस पूजा का समय अक्टूबर के महीने में तय समय के अनुसार रखा जाता है । |
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| मंदिर के पट तड़के 3.00 से लेकर प्रातः 8.00 बजे तक खुले रहते हैं तथा प्रतिदिन प्रातः 10.00 से लेकर संध्या 5.00 बजे तक भक्तजन मंदिर में पूजा - अर्चना कर सकते हैं । |
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| पूजा का समय 6.00 बजे से लेकर रात के 8.30 तक रहता है । |
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| काली माँ की पूजा श्रद्धा तथा आस्था के साथ की जाती है । |
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| अमावस्या के दिन मंदिर में काली माँ के लिए महापूजन का आयोजन किया जाता है । |
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| रात्रि के 12.00 बजे शक्तिरूपी देवी की आरती की जाती है । |
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| माँ को गहनों से सजाया जाता है तथा आरती के बाद माँ के चरणों में भोग चढ़ाया जाता है । |
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| आभूषणों तथा लाल फूलों की माला से माँ काली की प्रतिमा को सजाया जाता है । |
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| मुख्य प्रथा जो मंदिर में प्रचलित है वह है बलि, जिसका रूप वर्तमान में बदल गया है । |
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| कहा जाता है कि देवी के मंदिर में काली माँ जागृत अवस्था में हैं । |
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| माँ के द्वारा यहाँ पर आए भक्तजन की प्रार्थना स्वीकार की जाती है । |
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| देवी उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं । |
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| कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास दक्षिणेश्वर काली मंदिर स्थित है । |
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| यह मंदिर बीबीडी बाग से 20 किलोमीटर दूर है । |
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| दक्षिणेश्वर मंदिर का निर्माण सन 1847 में प्रारंभ हुआ था । |
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| जान बाजार की महारानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार माँ काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए । |
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| इस भव्य मंदिर में माँ की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई । |
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| सन 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ । |
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| यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में स्थित है । |
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| दक्षिणेश्वर मंदिर देवी माँ काली के लिए ही बनाया गया है । |
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| दक्षिणेश्वर माँ काली का मुख्य मंदिर है । |
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| भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के फूल जिसकी हजार पंखुड़ियाँ हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित भगवान शिव के ऊपर खड़ी हुई हैं । |
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| काली माँ का मंदिर नवरत्न की तरह निर्मित है और यह 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा है । |
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| विशेष आकर्षण यह है कि इस मंदिर के पास पवित्र गंगा नदी जो कि बंगाल में हुगली नदी के नाम से जानी जाती है, बहती है । |
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| इस मंदिर में 12 गुंबद हैं । |
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| यह मंदिर हरे - भरे - मैदान पर स्थित है । |
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| प्रसिद्ध विचारक रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली के मंदिर में देवी की आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी तथा उन्होंने इसी स्थल पर बैठ कर धर्म - एकता के लिए प्रवचन दिए थे । |
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| रामकृष्ण इस मंदिर के पुजारी थे तथा मंदिर में ही रहते थे । |
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| उनके कक्ष के द्वार हमेशा दर्शनार्थियों के लिए खुले रहते थे । |
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| माँ काली का मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है । |
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| इसमें सीढ़ियों के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं । |
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| दक्षिण की ओर स्थित यह मंदिर तीन मंजिला है । |
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| ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं । |
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| गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं । |
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| मंदिर के भीतरी स्थल पर दक्षिणा माँ काली, भगवान शिव पर खड़ी हुई हैं । |
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| देवी की प्रतिमा जिस स्थान पर रखी गई है उसी पवित्र स्थल के आसपास भक्त बैठे रहते हैं तथा आराधना करते हैं । |
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| इस मंदिर के सामने नट मंदिर स्थित है । |
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| मुख्य मंदिर के पास अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन के लिए भक्तजन की भीड़ लगी रहती है । |
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| दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है । |
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| भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है । |
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| मंदिर की उत्तर दिशा में राधाकृष्ण का दालान स्थित है । |
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| पश्चिम दिशा की ओर बारह शिव मंदिर बंगाल के अटचाला रूप में हैं । |
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| पर्यटक साल में हर समय यहाँ पर भ्रमण करने आ सकते हैं । |
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| कैसे जाएँ वहाँ - |
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| कोलकाता में मुख्य तौर पर दो स्टेशन हैं, शियालदाह तथा हाउराह । |
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| कोलकाता रेलमार्ग के माध्यम से भी सभी प्रमुख बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है । |
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| हर प्रमुख शहरों से कोलकाता जाया जा सकता है । |
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| कोलकाता में मीटर से टैक्सी चलती है । |
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| बस, मेट्रो रेल, साइकल रिक्शा तथा ऑटो रिक्शा चलते हैं । |
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| अमेरिका सद्दाम हुसैन की न्यायिक हिरासत इराक की अंतरिम सरकार को सौंपने पर विचार कर रहा है लेकिन वह सद्दाम को अपनी सेना के कब्जे में ही रखेगा । |
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| घाजी तलाबानी नाम के अधिकारी की काम करने जाते समय हत्या की गई । |
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| इराक स्थित अमेरिकी प्रशासक एल. पॉल ब्रेमर ने कहा कि अगर इराक के नए प्रधानमंत्री सद्दाम हुसैन को अपनी सरकार की हिरासत में देने की माँग करते हैं तो अमेरिका उनकी न्यायिक हिरासत सौंपने के बारे में विचार कर सकता है । |