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Universal Dependencies - Hindi - HDTB

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[1] tree
रामायण काल में भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी कुशावती को 483 ईसा पूर्व बुद्ध ने अपने अंतिम विश्राम के लिए चुना
s-1
dev-s1
रामायण काल में भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी कुशावती को 483 ईसा पूर्व बुद्ध ने अपने अंतिम विश्राम के लिए चुना ।
[2] tree
मल्‍लों की राजधानी होने के कारण प्राचीनकाल में इस स्‍थान का अत्‍यंत महत्‍व था
s-2
dev-s2
मल्‍लों की राजधानी होने के कारण प्राचीनकाल में इस स्‍थान का अत्‍यंत महत्‍व था ।
[3] tree
बौद्ध धर्मावलंबियों के अनुसार लुंबनी, बोधगया और सारनाथ के साथ ही इस स्‍थान का विशद् महत्‍व है
s-3
dev-s3
बौद्ध धर्मावलंबियों के अनुसार लुंबनी, बोधगया और सारनाथ के साथ ही इस स्‍थान का विशद् महत्‍व है ।
[4] tree
हिंदू राजाओं के काल में चीन से ह्वेन सांग, फाह्यान और इत्‍सिंग ने अपने यात्रा वृत्तांत में इस स्‍थान के गौरव का वर्णन किया है
s-4
dev-s4
हिंदू राजाओं के काल में चीन से ह्वेन सांग, फाह्यान और इत्‍सिंग ने अपने यात्रा वृत्तांत में इस स्‍थान के गौरव का वर्णन किया है ।
[5] tree
कुशीनगर का सबसे ज्‍यादा महत्‍व बौद्ध तीर्थ के रूप में है
s-5
dev-s5
कुशीनगर का सबसे ज्‍यादा महत्‍व बौद्ध तीर्थ के रूप में है ।
[6] tree
1876 में यह स्‍थान एक बार फिर प्रकाश में आया, जब तत्‍कालीन पुरातत्‍ववेत्‍ता लॉर्ड कर्निंघम ने महापरिनिर्वाण मूर्ति की खोज की
s-6
dev-s6
1876 में यह स्‍थान एक बार फिर प्रकाश में आया, जब तत्‍कालीन पुरातत्‍ववेत्‍ता लॉर्ड कर्निंघम ने महापरिनिर्वाण मूर्ति की खोज की ।
[7] tree
आइए करें सैर -
s-7
dev-s7
आइए करें सैर -
[8] tree
कुशीनगर की सीमा में प्रवेश करते ही भव्‍य प्रवेशद्वार आपका स्वागत करता है
s-8
dev-s8
कुशीनगर की सीमा में प्रवेश करते ही भव्‍य प्रवेशद्वार आपका स्वागत करता है ।
[9] tree
इसके बाद आम तौर पर पर्यटकों की निगाह महापरिनिर्वाण मंदिर की ओर पड़ती है
s-9
dev-s9
इसके बाद आम तौर पर पर्यटकों की निगाह महापरिनिर्वाण मंदिर की ओर पड़ती है ।
[10] tree
कुशीनगर का महत्‍व महापरिनिर्वाण मंदिर से है
s-10
dev-s10
कुशीनगर का महत्‍व महापरिनिर्वाण मंदिर से है ।
[11] tree
इस मंदिर का स्‍थापत्‍य अजंता की गुफाओं से प्रेरित है
s-11
dev-s11
इस मंदिर का स्‍थापत्‍य अजंता की गुफाओं से प्रेरित है ।
[12] tree
मंदिर के डाट हूबहू अजंता की गुफाओं के डाट की तरह हैं
s-12
dev-s12
मंदिर के डाट हूबहू अजंता की गुफाओं के डाट की तरह हैं ।
[13] tree
यह मंदिर उसी स्‍थान पर बनाया गया है, जहाँ से यह मूर्ति निकाली गई थी
s-13
dev-s13
यह मंदिर उसी स्‍थान पर बनाया गया है, जहाँ से यह मूर्ति निकाली गई थी ।
[14] tree
मंदिर के पूर्व हिस्‍से में एक स्‍तूप है
s-14
dev-s14
मंदिर के पूर्व हिस्‍से में एक स्‍तूप है ।
[15] tree
यहाँ पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्‍कार किया गया था
s-15
dev-s15
यहाँ पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्‍कार किया गया था ।
[16] tree
मूर्ति भी अजंता के भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण मूर्ति की प्रतिकृति है
s-16
dev-s16
मूर्ति भी अजंता के भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण मूर्ति की प्रतिकृति है ।
[17] tree
वैसे मूर्ति का काल अजंता से पूर्व का है
s-17
dev-s17
वैसे मूर्ति का काल अजंता से पूर्व का है ।
[18] tree
इस मंदिर के आसपास कई विहार (जहाँ बौद्ध भिक्षु रहा करते थे) और चैत्‍य (जहाँ भिक्षु पूजा करते थे या ध्‍यान लगाते थे) भग्‍नावशेष और खंडहर मौजूद हैं जो अशोककालीन बताए जाते हैं
s-18
dev-s18
इस मंदिर के आसपास कई विहार (जहाँ बौद्ध भिक्षु रहा करते थे) और चैत्‍य (जहाँ भिक्षु पूजा करते थे या ध्‍यान लगाते थे) भग्‍नावशेष और खंडहर मौजूद हैं जो अशोककालीन बताए जाते हैं ।
[19] tree
मंदिर परिसर से लगा काफी बड़ा सा पार्क है, जहाँ पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है
s-19
dev-s19
मंदिर परिसर से लगा काफी बड़ा सा पार्क है, जहाँ पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है ।
[20] tree
वैसे इस पूरे परिसर में अलौकिक शांति का वातावरण है
s-20
dev-s20
वैसे इस पूरे परिसर में अलौकिक शांति का वातावरण है ।
[21] tree
महापरिनिर्वाण मंदिर से कुछ दूर आगे माथा कुँवर का मंदिर है
s-21
dev-s21
महापरिनिर्वाण मंदिर से कुछ दूर आगे माथा कुँवर का मंदिर है ।
[22] tree
इसके स्‍थानीय लोगों में भगवान विष्‍णु के अवतार होने की मान्‍यता भी प्रचलित है
s-22
dev-s22
इसके स्‍थानीय लोगों में भगवान विष्‍णु के अवतार होने की मान्‍यता भी प्रचलित है ।
[23] tree
इस मूर्ति के भी करीब पाँच सौ वर्ष पुराना होने का प्रमाण मिलता है
s-23
dev-s23
इस मूर्ति के भी करीब पाँच सौ वर्ष पुराना होने का प्रमाण मिलता है ।
[24] tree
माथा कुँवर की मूर्ति काले पत्‍थर से बनी है
s-24
dev-s24
माथा कुँवर की मूर्ति काले पत्‍थर से बनी है ।
[25] tree
इसकी ऊँचाई करीब तीन मीटर है
s-25
dev-s25
इसकी ऊँचाई करीब तीन मीटर है ।
[26] tree
मूर्ति भगवान बुद्ध के बोधि प्राप्‍त करने से पूर्व की ध्‍यान मुद्रा में है
s-26
dev-s26
मूर्ति भगवान बुद्ध के बोधि प्राप्‍त करने से पूर्व की ध्‍यान मुद्रा में है ।
[27] tree
यहाँ बुद्ध चिरनिद्रा में हैं -
s-27
dev-s27
यहाँ बुद्ध चिरनिद्रा में हैं -
[28] tree
भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद 16 महाजनपदों में उनकी अस्‍थियों और भस्‍म को बाँट दिया गया
s-28
dev-s28
भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद 16 महाजनपदों में उनकी अस्‍थियों और भस्‍म को बाँट दिया गया ।
[29] tree
इन सभी स्‍थानों पर इन भस्‍मों और अस्‍थियों के ऊपर स्‍तूप बनाए गए
s-29
dev-s29
इन सभी स्‍थानों पर इन भस्‍मों और अस्‍थियों के ऊपर स्‍तूप बनाए गए ।
[30] tree
कुशीनगर में मौजूद रामाभार का स्‍तूप इन्‍हीं में से एक है
s-30
dev-s30
कुशीनगर में मौजूद रामाभार का स्‍तूप इन्‍हीं में से एक है ।
[31] tree
करीब 50 फुट ऊँचे इस स्‍तूप को मुकुट बंधन विहार कहा जाता है
s-31
dev-s31
करीब 50 फुट ऊँचे इस स्‍तूप को मुकुट बंधन विहार कहा जाता है ।
[32] tree
हालाँकि स्‍थानीय वाशिंदों में यह रामाभार स्‍तूप के नाम से ही आज भी जाना जाता है
s-32
dev-s32
हालाँकि स्‍थानीय वाशिंदों में यह रामाभार स्‍तूप के नाम से ही आज भी जाना जाता है ।
[33] tree
महापरिनिर्वाण मंदिर के उत्तर में मौजूद जापानी मंदिर अपने विशिष्‍ट वास्‍तु के लिए प्रसिद्ध है
s-33
dev-s33
महापरिनिर्वाण मंदिर के उत्तर में मौजूद जापानी मंदिर अपने विशिष्‍ट वास्‍तु के लिए प्रसिद्ध है ।
[34] tree
अर्द्धगोलाकर इस मंदिर में भगवान बुद्ध की अष्‍टधातु की मूर्ति है
s-34
dev-s34
अर्द्धगोलाकर इस मंदिर में भगवान बुद्ध की अष्‍टधातु की मूर्ति है ।
[35] tree
मंदिर सुबह 10 से शाम 4 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है
s-35
dev-s35
मंदिर सुबह 10 से शाम 4 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है ।
[36] tree
मंदिर के चार बड़े - बड़े द्वार हैं, जो सभी दिशाओं की ओर बनाए गए हैं
s-36
dev-s36
मंदिर के चार बड़े - बड़े द्वार हैं, जो सभी दिशाओं की ओर बनाए गए हैं ।
[37] tree
इस मंदिर की देखरेख जापान की एक संस्‍था की ओर से की जाती है
s-37
dev-s37
इस मंदिर की देखरेख जापान की एक संस्‍था की ओर से की जाती है ।
[38] tree
जापानी मंदिर के ठीक सामने संग्रहालय है
s-38
dev-s38
जापानी मंदिर के ठीक सामने संग्रहालय है ।
[39] tree
इसमें बुद्धकालीन वस्‍तुएं, धातुएं, कुशीनगर में खुदाई के दौरान पाई गई मूर्ति, सिक्‍के, बर्तन आदि रखे गए हैं
s-39
dev-s39
इसमें बुद्धकालीन वस्‍तुएं, धातुएं, कुशीनगर में खुदाई के दौरान पाई गई मूर्ति, सिक्‍के, बर्तन आदि रखे गए हैं ।
[40] tree
इसके साथ ही मथुरा और गांधार शैली की दुर्लभ मूर्तियाँ भी यहाँ देखने को मिलेंगी
s-40
dev-s40
इसके साथ ही मथुरा और गांधार शैली की दुर्लभ मूर्तियाँ भी यहाँ देखने को मिलेंगी ।
[41] tree
मंदिर में थाई शैली की भगवान बुद्ध की अष्‍टधातु की मूर्ति है
s-41
dev-s41
मंदिर में थाई शैली की भगवान बुद्ध की अष्‍टधातु की मूर्ति है ।
[42] tree
मंदिर का वास्‍तु थाईलैंड के मंदिरों जैसा ही है
s-42
dev-s42
मंदिर का वास्‍तु थाईलैंड के मंदिरों जैसा ही है ।
[43] tree
इसकी संरक्षिका थाईलैंड की राजकुमारी हैं
s-43
dev-s43
इसकी संरक्षिका थाईलैंड की राजकुमारी हैं ।
[44] tree
मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत लगाई गई है
s-44
dev-s44
मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत लगाई गई है ।
[45] tree
वाट थाई मंदिर -
s-45
dev-s45
वाट थाई मंदिर -
[46] tree
वर्तमान में सबसे आकर्षण का केंद्र यहाँ पर हाल ही में निर्मित वाट थाई मंदिर है
s-46
dev-s46
वर्तमान में सबसे आकर्षण का केंद्र यहाँ पर हाल ही में निर्मित वाट थाई मंदिर है ।
[47] tree
मंदिर का निर्माण थाईलैंड सरकार के सौजन्‍य से किया गया है
s-47
dev-s47
मंदिर का निर्माण थाईलैंड सरकार के सौजन्‍य से किया गया है ।
[48] tree
सफेद पत्‍थरों से बने इस मंदिर के दो तल हैं
s-48
dev-s48
सफेद पत्‍थरों से बने इस मंदिर के दो तल हैं ।
[49] tree
इस मंदिर में थाई शैली की भगवान बुद्ध की अष्‍टधातु की मूर्ति है
s-49
dev-s49
इस मंदिर में थाई शैली की भगवान बुद्ध की अष्‍टधातु की मूर्ति है ।
[50] tree
मंदिर का वास्‍तु थाईलैंड के मंदिरों जैसा ही है
s-50
dev-s50
मंदिर का वास्‍तु थाईलैंड के मंदिरों जैसा ही है ।
[51] tree
इसकी संरक्षिका थाईलैंड की राजकुमारी हैं
s-51
dev-s51
इसकी संरक्षिका थाईलैंड की राजकुमारी हैं ।
[52] tree
मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत लगाई गई है
s-52
dev-s52
मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत लगाई गई है ।
[53] tree
पौधों का विशेष आकार भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है
s-53
dev-s53
पौधों का विशेष आकार भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है ।
[54] tree
मंदिर परिसर में मौजूद चैत्‍य सभी के आकर्षण का केंद्र बन जाता है
s-54
dev-s54
मंदिर परिसर में मौजूद चैत्‍य सभी के आकर्षण का केंद्र बन जाता है ।
[55] tree
लोग बरबस इस सोने की परत चढ़े चैत्‍य के साथ फोटो खींचना चाहते हैं
s-55
dev-s55
लोग बरबस इस सोने की परत चढ़े चैत्‍य के साथ फोटो खींचना चाहते हैं ।
[56] tree
कुशीनगर के विस्‍तार के साथ ही यहाँ पर सबसे अधिक बनाए गए मंदिरों में से एक चीनी मंदिर है
s-56
dev-s56
कुशीनगर के विस्‍तार के साथ ही यहाँ पर सबसे अधिक बनाए गए मंदिरों में से एक चीनी मंदिर है ।
[57] tree
मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्ति अपने पूरे स्‍वरूप में चीनी लगती है
s-57
dev-s57
मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्ति अपने पूरे स्‍वरूप में चीनी लगती है ।
[58] tree
इसकी दीवारों पर जातक कथाओं से संबंधित पेंटिंग अत्‍यंत ही आकर्षक है
s-58
dev-s58
इसकी दीवारों पर जातक कथाओं से संबंधित पेंटिंग अत्‍यंत ही आकर्षक है ।
[59] tree
मंदिर के बाहर सुंदर फव्वारा है
s-59
dev-s59
मंदिर के बाहर सुंदर फव्वारा है ।
[60] tree
महापरिनिर्वाण मंदिर से पहले बीच तालाब में बना भगवान बुद्ध का मंदिर और इसके सामने बना विशाल पगोडा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है
s-60
dev-s60
महापरिनिर्वाण मंदिर से पहले बीच तालाब में बना भगवान बुद्ध का मंदिर और इसके सामने बना विशाल पगोडा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है ।
[61] tree
जल मंदिर तक जाने के लिए तालाब के ऊपर पुल का निर्माण किया गया है
s-61
dev-s61
जल मंदिर तक जाने के लिए तालाब के ऊपर पुल का निर्माण किया गया है ।
[62] tree
इसमें कछुओं और बतख के साथ ही मछलियों को अठखेलियाँ करते देखना बहुत अच्‍छा लगता है
s-62
dev-s62
इसमें कछुओं और बतख के साथ ही मछलियों को अठखेलियाँ करते देखना बहुत अच्‍छा लगता है ।
[63] tree
ठीक सामने मौजूद पगोडा के ऊपर बँधी घंटियाँ सुरम्‍य और शांत वातावरण में जब बजती हैं तो लगता है कि ये सभी दिशाओं में अहिंसा और प्रेम का संदेश दे रहीं हों
s-63
dev-s63
ठीक सामने मौजूद पगोडा के ऊपर बँधी घंटियाँ सुरम्‍य और शांत वातावरण में जब बजती हैं तो लगता है कि ये सभी दिशाओं में अहिंसा और प्रेम का संदेश दे रहीं हों ।
[64] tree
जलमंदिर के सामने भगवान शिव को समर्पित बिरला मंदिर मौजूद है
s-64
dev-s64
जलमंदिर के सामने भगवान शिव को समर्पित बिरला मंदिर मौजूद है ।
[65] tree
दक्षिण भारतीय शैली में बने इस मंदिर में शिव की ध्‍यान मुद्रा में सफेद संगमरमर की मूर्ति है
s-65
dev-s65
दक्षिण भारतीय शैली में बने इस मंदिर में शिव की ध्‍यान मुद्रा में सफेद संगमरमर की मूर्ति है ।
[66] tree
इसके बगल में ही बिरला धर्मशाला है
s-66
dev-s66
इसके बगल में ही बिरला धर्मशाला है ।
[67] tree
कैसे पहुँचें?
s-67
dev-s67
कैसे पहुँचें?
[68] tree
कुशीनगर गोरखपुर से 52 किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाईवे नं 28 पर स्‍थित है
s-68
dev-s68
कुशीनगर गोरखपुर से 52 किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाईवे नं 28 पर स्‍थित है ।
[69] tree
यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्‍टेशन गोरखपुर रेलवे जंक्‍शन है
s-69
dev-s69
यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्‍टेशन गोरखपुर रेलवे जंक्‍शन है ।
[70] tree
गोरखपुर से हर घंटे कुशीनगर (कसया) के लिए बसें मिलती रहती हैं
s-70
dev-s70
गोरखपुर से हर घंटे कुशीनगर (कसया) के लिए बसें मिलती रहती हैं ।
[71] tree
गोरखपुर से देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों के लिए ट्रेन की सुविधा उपलब्‍ध है
s-71
dev-s71
गोरखपुर से देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों के लिए ट्रेन की सुविधा उपलब्‍ध है ।
[72] tree
इसके साथ ही गोरखपुर से दिल्‍ली, मुंबई और कोलकाता के लिए हवाई सुविधा भी उपलब्‍ध है
s-72
dev-s72
इसके साथ ही गोरखपुर से दिल्‍ली, मुंबई और कोलकाता के लिए हवाई सुविधा भी उपलब्‍ध है ।
[73] tree
दिल्‍ली और लखनऊ से पर्यटन विभाग की ओर से भी विदेशी और घरेलू पर्यटकों के लिए वाहन और रहने की व्‍यवस्‍था की जाती है
s-73
dev-s73
दिल्‍ली और लखनऊ से पर्यटन विभाग की ओर से भी विदेशी और घरेलू पर्यटकों के लिए वाहन और रहने की व्‍यवस्‍था की जाती है ।
[74] tree
कहाँ ठहरें?
s-74
dev-s74
कहाँ ठहरें?
[75] tree
कुशीनगर में सैलानियों के ठहरने के लिए हर श्रेणी के आरामदायक होटल मौजूद हैं
s-75
dev-s75
कुशीनगर में सैलानियों के ठहरने के लिए हर श्रेणी के आरामदायक होटल मौजूद हैं ।
[76] tree
यहाँ लोटस, निक्‍को होटल, होटल रेसीडेंसी और पथिक निवास में ठहरने के लिए बेहतर होगा कि पहले से बुकिंग करवा ली जाए
s-76
dev-s76
यहाँ लोटस, निक्‍को होटल, होटल रेसीडेंसी और पथिक निवास में ठहरने के लिए बेहतर होगा कि पहले से बुकिंग करवा ली जाए ।
[77] tree
इनमें से पथिक निवास उत्तरप्रदेश पर्यटन विकास निगम की ओर से संचालित होता है
s-77
dev-s77
इनमें से पथिक निवास उत्तरप्रदेश पर्यटन विकास निगम की ओर से संचालित होता है ।
[78] tree
वहीं धर्मशालाओं में भी साल भर भीड़ रहती है
s-78
dev-s78
वहीं धर्मशालाओं में भी साल भर भीड़ रहती है ।
[79] tree
इसमें बिरला धर्मशाला और बुद्ध धर्मशाला प्रमुख हैं
s-79
dev-s79
इसमें बिरला धर्मशाला और बुद्ध धर्मशाला प्रमुख हैं ।
[80] tree
इसके अलावा अलग - अलग देशों के मंदिरों की धर्मशाला भी हैं
s-80
dev-s80
इसके अलावा अलग - अलग देशों के मंदिरों की धर्मशाला भी हैं ।
[81] tree
बौद्ध भिक्षुओं के लिए कुछ मंदिरों में विहार की व्‍यवस्‍था है
s-81
dev-s81
बौद्ध भिक्षुओं के लिए कुछ मंदिरों में विहार की व्‍यवस्‍था है ।
[82] tree
युग - युगांतर से उत्तराखंड भारतीयों के लिए आध्यात्मिक शरणस्थल और शांति प्रदाता रहा है
s-82
dev-s82
युग - युगांतर से उत्तराखंड भारतीयों के लिए आध्यात्मिक शरणस्थल और शांति प्रदाता रहा है ।
[83] tree
प्रागैतिहासिक काल से ऋषि - मुनियों और साधक, परिव्राजकों को यह आकर्षित करता रहा है
s-83
dev-s83
प्रागैतिहासिक काल से ऋषि - मुनियों और साधक, परिव्राजकों को यह आकर्षित करता आ रहा है ।
[84] tree
हिमालय प्रकृति का महामंदिर है
s-84
dev-s84
हिमालय प्रकृति का महामंदिर है ।
[85] tree
यहाँ केदारनाथ तीर्थ उत्तराखंड का महत्वपूर्ण स्थल है
s-85
dev-s85
यहाँ केदारनाथ तीर्थ उत्तराखंड का महत्वपूर्ण स्थल है ।
[86] tree
यहाँ जाते समय पैरों के नीचे यत्र - तत्र हिम राशि खिसकती दिखाई पड़ती है
s-86
dev-s86
यहाँ जाते समय पैरों के नीचे यत्र - तत्र हिम राशि खिसकती दिखाई पड़ती है ।
[87] tree
बर्फ के पास ही अत्यंत मादक सुगंध वाले सिरंगा पुष्पकुंज मिलने लगते हैं
s-87
dev-s87
बर्फ के पास ही अत्यंत मादक सुगंध वाले सिरंगा पुष्पकुंज मिलने लगते हैं ।
[88] tree
इनके समाप्त होने पर हरी बुग्याल 'दूब' मिलती है
s-88
dev-s88
इनके समाप्त होने पर हरी बुग्याल 'दूब' मिलती है ।
[89] tree
इसके पश्चात केदारनाथ का हिमनद और उससे निकलने वाली मंदाकिनी अपने में असंख्य पाषाण खंडों को फोड़कर निकले झरनों और फव्वारों के जल को समेटे उद्दाम गति से प्रवाहित होती दिखाई देती है
s-89
dev-s89
इसके पश्चात केदारनाथ का हिमनद और उससे निकलने वाली मंदाकिनी अपने में असंख्य पाषाण खंडों को फोड़कर निकले झरनों और फव्वारों के जल को समेटे उद्दाम गति से प्रवाहित होती दिखाई देती है ।
[90] tree
इन सबके ऊपर केदारनाथ का 6 हजार 940 मीटर ऊँचा हिमशिखर ऐसा दिखाई देता है, मानो स्वर्ग में रहने वाले देवताओं का मृत्युलोक को झाँकने का यह झरोखा हो
s-90
dev-s90
इन सबके ऊपर केदारनाथ का 6 हजार 940 मीटर ऊँचा हिमशिखर ऐसा दिखाई देता है, मानो स्वर्ग में रहने वाले देवताओं का मृत्युलोक को झाँकने का यह झरोखा हो ।
[91] tree
ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी 223 किमी है, जिसमें अंतिम दस किमी का अंश जो गौरीकुंड से केदारनाथ है वह पैदल, घोड़े या पालकी से जाना पड़ता है
s-91
dev-s91
ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी 223 किमी है, जिसमें अंतिम दस किमी का अंश जो गौरीकुंड से केदारनाथ है वह पैदल, घोड़े या पालकी से जाना पड़ता है ।
[92] tree
यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवाँ पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है
s-92
dev-s92
यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवाँ पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है ।
[93] tree
ये शिलाखंड भूरे रंग के हैं
s-93
dev-s93
ये शिलाखंड भूरे रंग के हैं ।
[94] tree
मंदिर लगभग 6 फुट ऊँचे चबूतरे पर बना है
s-94
dev-s94
मंदिर लगभग 6 फुट ऊँचे चबूतरे पर बना है ।
[95] tree
मंदिर के गर्भगृह में अर्धा के पास चारों कोनों पर चार सुदृढ़ पाषाण स्तंभ हैं, जहाँ से होकर प्रदक्षिणा होती है
s-95
dev-s95
मंदिर के गर्भगृह में अर्धा के पास चारों कोनों पर चार सुदृढ़ पाषाण स्तंभ हैं, जहाँ से होकर प्रदक्षिणा होती है ।
[96] tree
अर्धा, जो चौकोर है, अंदर से पोली है और अपेक्षाकृत नवीन बनी है
s-96
dev-s96
अर्धा, जो चौकोर है, अंदर से पोली है और अपेक्षाकृत नवीन बनी है ।
[97] tree
सभा मंडप विशाल एवं भव्य है
s-97
dev-s97
सभा मंडप विशाल एवं भव्य है ।
[98] tree
उसकी छत चार विशाल पाषाण स्तंभों पर टिकी है
s-98
dev-s98
उसकी छत चार विशाल पाषाण स्तंभों पर टिकी है ।
[99] tree
गवाक्षों में आठ पुरुष प्रमाण मूर्तियाँ हैं, जो अत्यंत कलात्मक हैं
s-99
dev-s99
गवाक्षों में आठ पुरुष प्रमाण मूर्तियाँ हैं, जो अत्यंत कलात्मक हैं ।
[100] tree
मंदिर के पीछे पत्थरों के ढेर के पास भगवान ईशान का मंदिर है
s-100
dev-s100
मंदिर के पीछे पत्थरों के ढेर के पास भगवान ईशान का मंदिर है ।

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