Dependency Tree

Universal Dependencies - Bhojpuri - BHTB

LanguageBhojpuri
ProjectBHTB
Corpus Parttest

Select a sentence

Showing 1 - 100 of 255 • previousnext

s-1 के कहल कि चमक - चमक के , झमक-झमक के , उचकि - उचकि के लपकि - लपकि के , देहि भाँजत गेना नियर उछलत चउए पर चलऽ जा
s-2 राहे - राहे रासलीला , खेते - खेते वृंदावन …… फागुन के महीना , खेत , खरिहान , कटिया , धूप , बसंती चोली , गुलाबी चुनरी , मस्त चाल …… अजी , धनिया से के कहल कि अब चुनरी रँगा
s-3 तबे नू एह अइसन कलम के जादूगरी पर चकित होत डॉ. रामप्रवेश शास्त्री के लिखे के पड़ल
s-4 विवेकी राय जी के चुनरी के रंग , बिनावट , कारीगरी के जवन भी संज्ञा अच्छा लागे , दिहला में कवनो हरज ना बा , लेकिन अइसन कला के पटतर दिहल कठिन होला
s-5 जवन नित नया बा , ओके पुरान बटखरा से वजन कइले अतने लाभ हो सकेला कि पता चलि जाई कि हमरा जानकारी के कसौटी में कतना पर अधिका उतरल बा
s-6 अनिल कुमार आंजनेय एह कृति के भोजपुरी अंचल के दरपन बतावत कहले रहलीं - के कहल चुनरी रँगा भोजपुरी अंचल के दर्पण
s-7 जेके भोजपुरी जिनिगी में , अंचल में गहराई तक पइठे के बा , ओके समीक्ष्य पुस्तक पढ़ल बहुते आवश्यक बा
s-8 पुस्तक के गहरे पैठ अंतर्दृष्टि के साक्षी
s-9 आंजनेय जी के एह कहनाम से सहमति जतावत चंद्रशेखर तिवारी लिखले बाड़न - एह संग्रह के पढ़िके कहल जा सकेला कि डॉ. विवेकी राय जी अउरी साहित्यकारन खानी कागद की लेखी ना कहिके महात्मा कबीर का तरह आँखिन के देखी कहले बाड़न , जवना से उनकर निबंध पाठक पर आपन एगो विशिष्ट छाप छोड़े में सफल भइल बाड़न
s-10 एह पुस्तक के प्रकाशन निश्चित रूप से भोजपुरी साहित्य के ललित निबंधन का इतिहास में एगो महत्वपूर्ण घटना
s-11 अपना भाषाई कौशल , व्यंगात्मकता रचनात्मक दक्षता के बदउलत राय साहब के निबंध एह विधा के विकास - समृद्धि के दिसाईं मील के पाथर साबित भइलन
s-12 एह संबंध में डॉ. जया पाण्डेय के साफ - साफ विचार बा - विवेकी राय जी के कुल्हि निबंध शुरू से आखिर ले व्यक्ति - व्यंजकता का रंग में रँगाइल बाड़े सन
s-13 कतहीं -
s-14 कतहीं प्रगीतात्मक काव्य के आनंद आवता
s-15 दोसर विशेषता बा लेखक के व्यंग्य - विनोद के प्रवृत्ति
s-16 कवनो भाषा के गद्य साहित्य जतने समृद्ध होई , भाषा ओतने विकसित मान जाले
s-17 विवेकी राय के तमाम निबंध विकासमान बोली के भाषा के प्रौढ़ता प्रदान कइलन
s-18 विवेकी राय के हिन्दी - भोजपुरी के कृतित्वे - भर आंचलिक ना रहे , उहाँ के शख्सियतो एड़ी से चोटी ले आंचलिकता से लैस रहे - सहनशीलता जीवट से लबालब भइल
s-19 तबे नू , अढ़ाई दशक पहिले हृदयाघात के हरु पटे विजयी भइलीं
s-20 सतरह साल पहिले जब पक्षाघात के शिकार दहिना अलँग कहला में ना रहल , बायाँ हाथ से लिखे के सिलसिला शुरू कऽ दिहलीं
s-21 बाकिर एह बेर उहाँ के मउवत के चुनौती कबूल ना कऽ पवलीं बाबा विश्वनाथ के नगरी काशी के अस्पताल में गंगा मइया के गोदी में आखिरी साँस लिहलीं
s-22 अतिशय सज्जनता साधुता के प्रतिमूर्ति , गँवई जिनिगी के अद्भुत चितेरा , गँवई गंध गुलाब से साहित्य - वाटिका के गमगमावे वाला मनबोध मास्टर के हमार अशेष प्रणामांजलि !
s-23 आजु स्टाफ रूम में इंस्पेक्शन के बात एक - एक के उघरत रहे
s-24 हमरा प्राचार्य डॉ. संजय सिंह सेंगर जी याद गइल रहीं हम भावुक हो गइल रहीं
s-25 5 जनवरी के उहाँ से खड़े - खड़े भइल आधा घंटा के बतकही के एक - एक शब्द हमरा याद रहे
s-26 हमार कलिग लोग के भी आँखि भरि आइल
s-27 भइल रहे कि सेंगर जी का विद्यालय के एगो सब - स्टाफ के दूनो किडनी फेल हो गइल
s-28 ओकरा तीन गो लइकी रही सन एकहूँ के अभी बियाह ना भइल रहे
s-29 ओह गरीब परिवार के कमाई के साधन बस ईहे नोकरी रहे
s-30 घर - परिवार नाता - रिश्ता में केहूँ अइसन ना मिलल जेकर किडनी मैच करो
s-31 धीरे - धीरे एह परिवार के आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गइल
s-32 सेंगर जी के ब्लड ग्रुप मैच करत रहे
s-33 बिना घरे केहू के बतवले चुपचाप आपन किडनी ओह आदमी के दान दिहले
s-34 अतने ना ओकराके तीन बोतल खूनो दिहले
s-35 राज घरे तब खुलल जब उनुका सङ के पढ़ल एगो डॉक्टर घरे आइल बचपनवाला स्टाइल में मुक्का - मुक्की शुरू कइलस
s-36 जसहीं जगह पर छुआइल कि ओकरा मुँह से निकलल - आरे तोर किडनी ?
s-37 फेरु हंगामा शुरू
s-38 पत्नी के मनावे में तीन दिन लागल
s-39 आजु ओह आदमी के मए लइकी बियहा के ससुरा चलि गइली सन ऊहो सामान्य जीवन जी रहल बा
s-40 सेंगर जी एकदम फिटफाट रहीं
s-41 बिना कवनो लोभ के केहूँ चुपचाप अइसे मदद करे ओकरा के का कहल जाउ ?
s-42 साधारन आदमी नाहिंए कहाई
s-43 ओह स्टाफ के एगो दमाद जवन बेंगलुरु में इंजीनियर बाटे , फ्लाइट से कोलकाता खाली उहाँसे मिले खाती आइल रहे
s-44 कालिदास सर अपना एगो मित्र के अनुभव शेयर कइलीं
s-45 जापान गइल रहन
s-46 एक दिन ट्रेन में जवन बैग लेके बइठल रहन ओकर एक ओर के थोरे सिलाई टूटल रहे
s-47 एगो जापानी नागरिक के पर नजर चलि गइल रहे
s-48 जब देखलसि कि ओने नइखन देखत अपना बैग में से निडिलवाला मशीन निकललसि उनुकर आँखि बचावत बेगवा सी दिहलसि
s-49 अभी इनकर ध्यान ओह पर जाइत कि ओकरा पहिलहीं ओकर स्टेशन गइल बिना कुछ बतवले चुपचाप उतरि गइल
s-50 जहाँ का बच्चा - बच्चा में एह तरह के नैतिक मूल्य भरल गइल बा ओह देश के तरक्की भला कइसे रुकी ?
s-51 सुनील सिन्हा के स्तंभ शुक के सुनील सिन्हा जी के भेजल भोजपुरी पंचायत के कई गो पहिले के अंक मिलल
s-52 हम दू महीना पहिले आग्रह कइले रहीं खास करके उहेंवाला स्तंभ पढ़े खातिर
s-53 उहाँके स्तंभ आत्म - विश्वास हम बहुत चाव से पढ़ींले
s-54 ओकर एक - एक बात जइसे हमरा मन का गहराई में उतरत जाला , काहेंकि एह प्रक्रिया में हमार पूरा विश्वास बाटे
s-55 एकरा पीछा ईहो एगो कारन हो सकेला कि दू साल पहिले हम गोवा जाके लीडरशिप के ट्रेनिंग लेले रहीं
s-56 अबहिंयो याद बा जब हमनीके मए साथी का मुँह से ईहे निकलल रहे कि कम से कम एक हप्ता अउर ट्रेनिंग के अवधि बढ़ि गइल रहित
s-57 रोज सात घंटा के पढाई होखे
s-58 बीच में खाली एक घंटा के ब्रेक
s-59 पढाई हमनी के अतना भावल कि ओह दौरान केहूँ के मोबाइल ऑन ना रहत रहे , ढेर से ढेर साइलेंट मोड में टॉयलेट जाए के केहूँ नाँवे ना लेइ , डर रहे कि कुछ छूटि जाई
s-60 हमनी के अतना विश्वास हो गइल रहे कि कवनो विद्यार्थी के आसानी से पटरी पर ले आइल जा सकता , संसार के कवनो रोग से बिना दवा खइले छुटकारा पावल जा सकता , ढंग से काउंसिलिंग दिहल जाव केहू आत्महत्या ना करी कबो
s-61 हमरा एह बात पर सभ विश्वास ना कर पाई , हम जानतानी बाकिर हमरा विश्वास में आजुओ कवनो कमी नइखे आइल
s-62 फेरु फगुआ बदनाम होई
s-63 फगुआ जइसे - जइसे नगिचात जाता , हमार साँस फूलल जाता
s-64 फेरु फगुआ बदनाम होई
s-65 रंग में हई गड़बड़ी होले मिठाई हइसे बनतारी सन आजु - काल्हु
s-66 अब फूहर गाना बाजे शुरू हो जाई
s-67 हमरा आजु तक ना बुझाइल कि हमनी का खाली टिप्पणिए देबे खातिर पैदा भइल बानी जा कि कुछु करबो करबि जा
s-68 बाजारू रंग लगवला के बहुत नुकसान बा महङा रंग जे कीन सकता , दू चुटकी अबीरे से काम चला लेला भा छी - मानुख में ओकर होली निकलि जाले
s-69 लोग रंग खेलल छोड़ि देसु ?
s-70 रंगे से होली हटे किसिम किसिम का रंगे से जिनिगी बनेले
s-71 फेरु प्रिंट से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक के मन - मिजाज एक हप्ता पहिलहीं से सत्यानाशी भाषणबाजी से काहें रङा जाला ?
s-72 अतने बा तथाकथित बुद्धिजीवी लोग के दुअरा - दुअरा जाके लोगन के ज्ञान चक्षु खोलेके चाहीं
s-73 खाली मुँह के खुजली मिटवला से कुछु ना बदली , थोरे टाइम निकालहीं के परी नवका पीढ़ी के फेसो करेके परी
s-74 लेखको लोग सवाल का घेरा में नीमन ना कहाई कि लेखको लोग अब सवाल का घेरा में आवे लगलन
s-75 का भइल कि जब देश में सब ठीकठाक बा केहूँ के अनकस बरे लागता तनिक चिंताजनक भइला पर बिल्कुल मौन माने सभ नीमन चल रहल बा
s-76 जेकर गतिविधि राष्ट्रीय सुरक्षा का खिलाफ बाइ , ओकरा सङे बानी अपने सभ जेकरा के देश थू - थू कर रहल बा ओकरा बाहबाही में राउर कलम कवनो कोर - कसर नइखे छोड़त
s-77 अउर अउर , जेकरा अनुशासनहीनता के दुष्प्रभाव देश भर के छात्रन पर पड़ रहल बा ओकरा के महिमामंडित करे में रउरा तनिको आहस ना लागे
s-78 बताईं ईहे लेखक के धर्म हटे ?
s-79 रउरा एही स्वाभिमान के सम्मान होखेके चाहीं ?
s-80 सभ जानता कि तरह-तरह के तर्क बनाम गलथेथई से कुछ बने ना , बिगड़बे करेला
s-81 हमरा खयाल से हमनी सभ लेखकन के राजनीति गोलबंदी से अलगे रहेके चाहीं
s-82 आजुओ लेखक लोगन पर से लोगन के भरोसा नइखे हटल
s-83 तथाकथित अश्लीलता एह घरी भोजपुरी के बहुत बिचित्र स्थिति हो गइल बा
s-84 जेकरे मन आवता अश्लील कहि देता भा दागदार बता देता
s-85 एह विषय पर ना चाहते हुए भी हमहूँ लिखलीं परिचर्चो आयोजित कइलीं
s-86 सोचलीं कि सत्य का ग्यान भइला का बाद कुल्हि बंद हो जाई बाकिर काहेंके ?
s-87 कुछ लोग बाकायदा झंडा उठाके चल देले बाड़न बिना जनले कि अश्लीलता के पैमाना का होई ?
s-88 भोजपुरी बीर बहादुर लोगन के भाषा हटे
s-89 गारी -
s-90 गलौज शृंगारिक हँसी - मजाक भोजपुरी के सुभाव हटे सभ भोजपुरिया के ताकत
s-91 सुनतानी कि कहीं - कहीं सरकारी फरमानो जारी होखे लागल बा आउर कुछ लोग कानूने बनवावे पर आमादा हो गइल बाड़न
s-92 कहीं अइसन मत होखे कि एंटीबायोटिक का प्रयोग से ऊहो बैक्टीरिया मरि जा सन जवन हमनीके शरीर का सहज सुभाव के रक्षा करेलन
s-93 एही विषय पर बक्सर में एक बेर मनोज चौबे जी से बात होत रहे
s-94 उहाँका कहलीं कि आजु - काल्हु एकर झंडा उठाके जेतना लोग चल रहल बा ओहमें ऊहो लोग शामिल बा जे एह समस्या का मूल में बा
s-95 ओह तथाकथित साफ - सुथरा गायक लोग से भी पूछल जाएके चाहीं कि भोजपुरी गायकी में चोली - साया लेके के आइल
s-96 हमार माथा ठनकल
s-97 ईहो अपना के निउज में बनवले राखेके एगो जरिया हो गइल बा ?
s-98 फुहरकम केहूँ के नीक ना लागे , कवनो जुग में नइखे लागल हमरा काहें लागी , बाकिर एक बेरि हिंदियो गीतन पर ध्यान दीहल जाव , जवन घर - घर में लइका - लइकी सुनतारे सन
s-99 हम जानतानी कि ओहिजा रउरा अबस बानी , राउर कवनो कंट्रोल नइखे
s-100 ढेर से ढेर रउँआ एगो सेफ कमेंट मारबि - पता ना आजु - काल्हु के लइका का सुनतारे सन , हमनी का बेर भिखारी ठाकुर के बिदेशिया महेंदर मिसिर के पुरबी के कवनो जोड़े ना रहे ( भोजपुरी के बात करबि तब ) नाहीं रफी , मुकेश , लता आदि के नाँव लेबि आँखि बचाइबि

Text viewDownload CoNNL-U