s-201
| इसा गल्ला सुणी के पटवारिए दा मुंह उतरी गिया। |
s-202
| सारे लोक बुड्ढे पास्सें गौरा ने दिक्खणा लगी पे। |
s-203
| ऊञा एह जम्मणी दा बूट्टा प्रेमुएं दा ही है। |
s-204
| जज्ज बुड्ढे दिया गल्ला सुणी के बड़ा खुश होया। |
s-205
| जम्मणी दा रुक्ख जिञा पहलैं था , तिञा ही रेह्या। |
s-206
| जाह्लू तिसदी निन्दर खुल्ली तां संझ ढळी चुक्कियो थी। |
s-207
| अपर सैह करी भी क्या सकदा था! |
s-208
| एह देहिया हालता विच सारेयां ते बड्डा सुआल खाणे दा था। |
s-209
| सैह तां हल्ल होई गेया। |
s-210
| सैह गलाई के बाहर चली गेई। |
s-211
| तुसां हार बड़ा छैळ बणान्दे हन। |
s-212
| तिन्ना तिह्नां जो रात्ती केइयां किस्मा दे खाणें बणाई के खुआए। |
s-213
| सैह बड़े खुश होए। |
s-214
| तिसजो तिसदे घरे वाळे चुक्की के लेई औह्न। |
s-215
| राजदरबार लगी गेया। |
s-216
| कमरे विच बछाण भी लगवाई दित्ता। |
s-217
| राजा राणी दोयो तित्थू सौई गे। |
s-218
| बेहसाबा तफान उट्ठणा लग्गा। |
s-219
| सारिया पृथ्विया जो अप्पूं विच ही डुबाई लैंह्गा? |
s-220
| जिञा ही सैह रुकी तफान भी थमी गेया। |
s-221
| तिसा दा बापू भी नराज होई गेया। |
s-222
| सारी गल्ल तिसा जो सुणाई दित्ती। |
s-223
| गांह मिंजो कोई मुस्कल नी हुणी। |
s-224
| बाकी मैं सम्हाळी लैह्ंगी। |
s-225
| तिस पर कन्ध ढेई पेई। |
s-226
| जाह्लू तिसदी हाख खुल्ली , सैह पताळे विच पुज्जी गेया था। |
s-227
| इसदी कोई जरूरत नी है। |
s-228
| एह तां मेरा फर्ज था। |
s-229
| गांह जाह्लू भी मेरी जरूरत हुंगी तां मिंजो याद करी लैणा। |
s-230
| सैह आळी विच गुम होई गेई। |
s-231
| इतणा गलाई के मच्छी मुड़ी के चली गेई। |
s-232
| जरा करी बक्खें बेही के किच्छ सोचदा रेह्या। |
s-233
| इक्क उच्ची दुआल दुस्सी गेई। |
s-234
| ओ भाऊ ! कुतांह जा दे हन? |
s-235
| तुसां गांह नी जाई सकदे। |
s-236
| कैंह् नी जाई सकदा? |
s-237
| अपर तिह्नां तिसदी गल्ल नी मन्नी। |
s-238
| तिस जो अपणें आप्पे पर गुस्सा आया। |
s-239
| डरी के सारे ही पैह्रेदार तित्थू ते नह्ठी गे। |
s-240
| सैह मती ही छैळ थी। |
s-241
| कृष्ण कन्हैया तिसा ने प्यार करदा था। |
s-242
| मेरिया मालणी दा सुर्गवास होई गेया है। |
s-243
| कुब्जा मने - मने बड़ी खुश होई। |
s-244
| इसजो अपणा ही घर समझा। |
s-245
| तित्थू सैह् किस्मां - किस्मा दे पकवान त्यार करना लग्गी। |
s-246
| तित्थू सैह् न्हौता कने हटी आया। |
s-247
| तिसजो निन्दर आई गई। |
s-248
| ओ माधो ! क्या कणक बाही दित्ती? |
s-249
| पता नी बरखा काह्लू होणी? |
s-250
| भ्यागा - संझा घरैं रोज ही पूजा होणा चाहिदी। |
s-251
| घरे सुख - शान्ति बणियो रैह्न्दी है। |
s-252
| काह्लू मुकदा है? |
s-253
| भ्यागा पंज बजे मुकदा है। |
s-254
| तूं काह्लू उठदा है? |
s-255
| खरे - खरे बचार म्हारे दमागे विच पैदा हुन्दे। |
s-256
| डंगरे घा खाई बैठेयो हन। |
s-257
| सैह कैस दस्सी गेया है? |
s-258
| अज्ज नळकें पाणीं नी औणा , फीटर आया था। |
s-259
| दो घड़े नाड़ेयां ते लेई ओआ। |
s-260
| जरा सम्ह्ळी के चलणा। |
s-261
| बान्दर मते होई गेयो हन। |
s-262
| फसलां जो तैह्स - नैह्स करी देया दे हन। |
s-263
| खान्दे घट्ट कनै गुआन्दे मता हन। |
s-264
| राजुए जो भेज्जेआ है। |
s-265
| दर - दर भटके गऊ माता। |
s-266
| इक्क कवता विच कविएं क्या बोलेया है? |
s-267
| कदेया बेला आई गेया है? |
s-268
| एह् भी तां बे मौसमी हुन्दी जा दी है। |
s-269
| गांह् - गांह् दिक्खा क्या हुन्दा है? |
s-270
| मितरा ! एह खरे लच्छण नी हन्। |
s-271
| वातावरण जो परदूषणे ते बचाणे बिच पूरे तरीकें समर्पित होणें दी भी जरूरत है। |
s-272
| बरखा लगणे वाळी है। |
s-273
| चाह् बणी गेइयो है तां लेई ओआ। |
s-274
| चाह पी लैन्दे हन। |
s-275
| मिंजो कजो याद कित्ता? |
s-276
| मिंजो कोई मुश्कल नी हुणीं। |
s-277
| मैं सम्हाळी लैह्ंगी। |
s-278
| सैह ढेई गेया। |
s-279
| तुसां अप्पू दसगे तां ठीक होणा। |
s-280
| इन्हां प्रोग्रामां दा देह्या फायदा म्हारे हाळियां भाऊआं जो होन्दा है। |
s-281
| सबना दा हाल इक्को देह्या है। |
s-282
| ओ भाऊ ! जरा एम्बुलेन्सा सद्दी देया। |
s-283
| कोई गल्ल नी। |
s-284
| तिन्नी पखलें माहणुएं बुढड़े सौह्रे जो जवाब दित्ता। |
s-285
| क्या तुसां वळ मोबाईल फोन नी है? |
s-286
| अपणे आप एम्बुलेंस ओंदी है। |
s-287
| मैं फोन खरीदी भी लेयां ता मिंजो बरतणा ही नी ओणा। |
s-288
| असां दे जमाने बिच मदरसे नेडे नी हुन्दे थे। |